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नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा

मोदी सरकार अगले सोमवार यानी 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेगी. एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को ही मोदी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी.

Updated on: 05 Dec 2019, 02:56 PM

नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार (Modi Sarkar) अगले सोमवार यानी 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पेश करेगी. एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को ही मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) ने इसे मंजूरी दी थी. पहले कहा जा रहा था कि सरकार इसी हफ्ते इसे संसद (Parliament) में पेश करेगी, लेकिन अब सरकार ने सोमवार को लोकसभा Lok sabha में इसे पेश करने का फैसला किया है. गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) इस बिल को संसद (Parliament) में पेश करेंगे. सरकार की कोशिश इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session) में पास करा लेने की होगी. विपक्ष इस बिल का जोरदार विरोध कर रहा है. बीजेपी (BJP) ने इस बिल को पास कराने के लिए सांसदों की अधिक से अधिक उपस्‍थिति सुनिश्‍चित करने को कहा है.

नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए नागरिकता संशोधन बिल 2019 लाया जा रहा है इससे नागरिकता देने के नियमों में बदलाव होगा. इस संशोधन विधेयक से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारत की नागरिकता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा. भारत की नागरिकता हासिल करने को अभी देश में 11 साल रहना जरूरी है, लेकिन नए बिल में इस अवधि को 6 साल करने की बात है.

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कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इस बिल के विरोध में हैं. यहां तक कि बिहार में एनडीए की घटक जनता दल यूनाइटेड और असम गण परिषद भी इस बिल के खिलाफ में हैं. असम गण परिषद (AGP) गृह मंत्री अमित शाह से भी इस बिल का विरोध कर चुकी है.

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विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता बांट रही है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार इस बिल के जरिए 1985 के असम अकॉर्ड का उल्लंघन कर रही है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी या फिर अन्य विपक्षी नेता सभी ने इस बिल का विरोध करने का फैसला किया है.