'मोदी-शी शिखर बैठक से निकलेगी चीन-भारत संबंधों की राह'
पश्चिम के कुछ लोग बीजिंग और नई दिल्ली के बीच लगातार मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, और वे चाहते हैं कि दोनों के बीच दूरी बनी रहे और टकराव पैदा हो.
नई दिल्ली:
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शुक्रवार से शुरू हुई भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली उनकी अनौपचारिक शिखर बैठक से दोनों देशों के बीच संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा तय होगी और इससे अनिश्चितता भरे विश्व को स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी. यह बात चीन के एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने कही है. ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में दोनों नेताओं के बीच इस दूसरी अनौपचारिक बैठक को साल की एक सबसे अपेक्षित और प्रतीक्षित बैठक करार दिया है.
अखबार ने लिखा है, "शी और मोदी के बीच अप्रैल 2018 में हुई पहली अनौपचारिक शिखर बैठक के चलते द्विपक्षीय संबंध डोकलाम गतिरोध के धुंधलके से बाहर निकलकर वापस पटरी पर आया था. और उसके बाद से विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया है. इस बार चेन्नई की बैठक से भारत-चीन संबंधों के अगले चरण की दिशा तय होगी, और इससे अनिश्चितता से भरी आज की दुनिया को स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी."
अखबार ने लिखा है, "शी-मोदी की अनौपचारिक शिखर बैठक को लेकर चीन और भारत में लोगों की राय बहुत सकारात्मक है, फिर भी कुछ विदेशी मीडिया की तरफ से दोनों के बीच मतभेदों पर फोकस किया जा रहा है. यह अनपेक्षित भी नहीं है. पश्चिम के कुछ लोग बीजिंग और नई दिल्ली के बीच लगातार मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, और वे चाहते हैं कि दोनों के बीच दूरी बनी रहे और टकराव पैदा हो. लेकिन राजनीति की थोड़ी भी समझ रखने वाले इस बात को जानते हैं कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश क्यों नहीं चाहते कि चीन और भारत करीब आएं, और वे क्यों चीनी ड्रैगन और भारतीय हाथी के बीच टकराव देखना चाहते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि वे चाहते हैं कि दोनों उभरती शक्तियां अपनी ऊर्जा इन्हीं सब में बर्बाद कर दें और इससे पश्चिम रणनीतिक लाभ उठा लें. यद्यपि कुछ भारतीय मीडिया में समय-समय पर आवेशपूर्ण बयान प्रकाशित होता रहता है, लेकिन भारतीय नीतिनिर्माताओं ने रणनीतिक संचेतना और भू-राजनीतिक समझदारी बनाए रखी है. दोनों देशों ने अपनी समस्याओं पर नियंत्रण की एक मजबूत क्षमता धीरे-धीरे विकसित की है."
अखबार ने हालांकि दोनों देशों के संबंधों को जटिल भी बताया है. ग्लोबल टाइम्स लिखता है, "चीन-भारत संबंध सीमा विवादों, ऐतिहासिक अड़चनों और भू-राजनीति को लेकर संबंधित चिंताओं के कारण काफी जटिल हैं. इनमें से कोई भी मतभेद राष्ट्रवादी भावनाओं और विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप के कारण भयानक संघर्ष की ओर ले जा सकता है, जिससे द्विपक्षीय रिश्ते में कटुता पैदा हो सकती है."
अखबार आगे लिखता है, "पिछले दशक में दोनों देशों के बीच मतभेदों और दूरियों के बावजूद शांति बनी रही है और तेजी से दोनों का विकास हुआ है. यही वजह है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच प्रमुख मुद्दे पर एक स्पष्ट आपसी समझ है, और वह है चीन व भारत के बुनियादी रणनीतिक हितों के अनुरूप मित्रवत सहयोग."
संपादकीय के अंत में लिखा गया है, "चीनी समाज भारत के प्रति पूर्ण सद्भाव रखता है और आशा करता है कि भारत शांतिपूर्ण विकास हासिल करे. वे अपनी मित्रवत सहभागिता का विस्तार करें. दोनों देश एक-दूसरे के पड़ोसी हैं. दोनों पक्ष इसका इस्तेमाल लड़ाई-झगड़े के लिए करने के बदले इसे अपने विकास की प्रेरक शक्ति बना सकते हैं. हम मानते हैं कि दोनों पक्षों के नेताओं के दिशानिर्देशन में चीन और भारत के बीच संबंध भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण कारक बनेंगे."
उल्लेखनीय है कि शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए शुक्रवार को भारतीय राज्य तमिलनाडु के मामल्लापुरम पहुंचे हैं.
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