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Chandrayaan-2 Launch: जानें इसरो चीफ ने क्‍यों कहा कि अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है

अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है.

Updated on: 22 Jul 2019, 05:38 PM

नई दिल्‍ली:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर दिया.

इस मिशन की कमान संभाल रहे इसरो (ISRO) चीफ डॉ. के सिवन ने लॉन्च की सफलता के बाद सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) की लॉन्चिंग हमारी उम्मीद से ज्यादा बेहतर रही है. आज देश के लिए ऐतिहासिक दिन है. जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट ने तय समय पर चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया है. हमारे चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) में ज्यादा ईंधन है. उसकी लाइफलाइन भी ज्यादा है, क्योंकि हमने ऑर्बिट में उसे बेहतर तरीके से स्थापित कर दिया है.

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15 जुलाई को हुई तकनीकी खामी के बारे में इसरो (ISRO) चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि वैज्ञानिकों ने 24 घंटे के अंदर ही तकनीकी खामी को ठीक कर लिया था. पिछले एक हफ्ते से हमारे वैज्ञानिक दिन रात जगते रहे. इसबार जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट की क्षमता में भी 15 फीसदी का इजाफा किया है. ये अब तक का हमारा सबसे ताकतवर रॉकेट है.

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डॉ. के. सिवन ने कहा कि अब चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) सैटेलाइट मिशन से जुड़े वैज्ञानिक अगले 48 दिनों में अंतरिक्ष यात्रा के दौरान चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) की 15 बार स्थिति बदलेंगे. अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है. अभी हमें और हमारी टीम को लगातार काम करना है. इसरो (ISRO) यहीं नहीं रुकेगा. इस साल के अंत तक एक और महत्वपूर्ण सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की लॉन्चिंग करेगा.

48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव

  • चंद्रयान-2 (Chandrayaan2 ) अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.
  • 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा
  • 19 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा.
  • 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.
  • 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा
  • 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा
  • लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.