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CBI Vs CBI : दोनों पहले ही आ चुके थे आमने-सामने, एक शिकायत थी इसकी जड़

केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) दोनों पहले ही आमने सामने आ चुके थे, हालांकि मीडिया में यह मामला तब छाया जब सरकार ने CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया.

Updated on: 26 Oct 2018, 09:50 AM

नई दिल्‍ली:

केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) दोनों पहले ही आमने सामने आ चुके थे, हालांकि मीडिया में यह मामला तब छाया जब सरकार ने CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया. वहीं शुरू में लग रहा था कि यह फैसला सरकार ने लिया है, लेकिन बाद में सरकार ही ने स्‍पष्‍ट किया कि उसने यह फैसला CVC की सिफारिश के बाद उठाया है, जो उसकी संवैधानिक जिम्‍मेदारी है. अंत में यह मामला केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CBI Vs CVC) के बीच का निकला, जिसका अभी अंत होना बाकी है. पूरे मामले को समझने के लिए घटनाक्रम पर नजर डालना जरूरी है.

CVC ने जारी किया था बयान
इस मामले में बाद में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने अपना बयान जारी था. CVC ने इसमें कहा था कि दोनों अधिकारियों की ओर से एक-दूसरे पर लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने सीबीआई के माहौल को खराब किया है. सीवीसी ने कहा कि अधिकारियों के आपसी झगड़े ने संस्थान की विश्वसनीयता एवं प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने का काम किया.

विवाद के ये थे कारण
मीडिया में इस मामले में केंद्रीय सर्तकता आयोग का जो पक्ष सामने आया है उसमें कुछ महत्‍वपूण बातें हैं. उनके अनुसार उसे विवाद बढ़ने की वजह से सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के लिए उन्हें अनुशंसा करनी पड़ी.

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ये है घटनाक्रम
-24 अगस्त, 2018 को CVC को CBI में कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र मिले, जिसके बाद सेक्शन 11 सीवीसी एक्ट 2003 के तहत 11 सितंबर, 2018 को सीबीआई निदेशक को नोटिस भेजा गया. 14 सितंबर, 2018 को उनके सामने संबंधित फाइल और दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया था. सीबीआई को इसे पेश करने के कई मौके दिए गए और फिर 24 सितंबर को सीबीआई ने तीन सप्ताह के अंदर फाइल को सीवीसी के सामने पेश करने का भरोसा भी दिया. CVC के मुताबिक कई रिमाइंडर के बावजूद BCI ने आरोप से संबंधित फाइल और दस्तावेज सीवीसी के सामने नहीं पेश किए.
-CVC ने सीबीआई डायरेक्टर पर संवैधानिक संस्था के कामकाज में जानबूझकर रुकावट पैदा करने सहित असहयोग करने का आरोप लगाया.
-CVC ने इसे असाधारण और अभूतपूर्व परिस्थिति करार देते हुए सेक्शन 8 सीवीसी एक्ट 2003 के तहत कार्रवाई करते हुए अगले आदेश तक डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना से सारे पावर और फंक्शन वापस ले लिए.
-सरकार इसे असाधारण और अभूतपूर्व परिस्थिति मानते हुए CVC के द्वारा रखे गए रिपोर्ट को जांचा और परखा. फिर सेक्शन 4(2) दिल्ली पुलिस स्पेशल एक्ट के तहत असाधारण और अभूतपूर्व परिस्थितियां पैदा होने की वजह से डायरेक्टर और स्पेशल डायरेक्टर को उनके पावर, फंक्शन और सुपरवाइजरी रोल से मुक्त कर दिया.

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ये है मामला
CBI ने राकेश अस्थाना (स्पेशल डायरेक्टर) और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज की थी. इसके एक दिन बाद DSP देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया.

वहीं सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग (CVC) की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया. चार्ज लेते ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया.

बाद में वित्‍त मंत्री ने भी दिया बयान 

CBI विवाद पर वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि एजेंसी के अंदर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे विचित्र स्थिति पैदा हुई है. जेटली ने कहा कि इस मामले में सरकार दखल नहीं देगी और CVC इसकी निष्पक्ष जांच करेगी. कैसे होगा, क्या होगा ये सभी इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी देखेगी, लेकिन जांच सही ढंग से हो रही है या नहीं यह देखने का पावर सीवीसी का है. जांच के बाद सीवीसी जो भी सुझाव देगी, सरकार उस पर अमल करेगी.