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CBI Vs CBI Case: कोर्ट ने सीबीआई को लगाई फटकार, पूछा- क्यों नहीं कराया लाई डिटेक्टर टेस्ट

इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को इस मामले की आगे की सुनवाई की जाएगी.

Updated on: 19 Feb 2020, 02:24 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई बनाम सीबीआई (CBI vs CBI) भ्रष्टाचार मामले में बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse avenue Court) में सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई को जमकर फटकार लगाई है.  कोर्ट ने CBI से पूछा कि जांच के दौरान सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) पर लाई डिटेक्टर टेस्ट क्यों नहीं कराया गया. स्पेशल कोर्ट ने CBI को मामले के संबंध में केस डायरी लाने को कहा है. 28 फरवरी को इस मामले की आगे की सुनवाई की जाएगी. 

इसके  पहले दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की संलिप्तता वाले कथित भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी की पड़ताल पर नाशुखी जताई थी और जानना चाहा था कि मामले में बड़ी भूमिका वाले आरोपी आजादी से क्यों घूम रहे हैं. जबकि सीबीआई ने अपने ही डीएसपी को गिरफ्तार किया है. न्यायालय ने इस बात पर नाखुशी जताई कि जांच के दौरान सोमेश्वर श्रीवास्तव का नाम सामने आया, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, जबकि सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत मिल गई. श्रीवास्तव दुबई स्थित कारोबारी और कथित बिचौलिए मनोज प्रसाद का भाई है, और इस मामले के मुख्य आरोपियों में एक है.

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पूछे गए ये सवाल

  • अदालत ने सीबीआई से पूछा कि जांच के दौरान क्या राकेश अस्थाना का मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक सामान लिए गए थे?
  • सीबीआई ने कोर्ट के तीनों सवालों के जवाब में कहा कि हमने राकेश अस्थाना से केवल पूछताछ की है. कोर्ट ने केस डायरी ले ली है. कोर्ट ने कहा कि हम डिटेल स्टडी करेंगे कि आपने किस तरह से जांच की है?
  • सुनवाई के दौरान स्पेशल सीबीआई जज संजीव अग्रवाल ने सीबीआई से डिटेल को लेकर पूछताछ की. कोर्ट ने सीबीआई से पूछा, 'राकेश अस्थाना पर जांच के दौरान कोई झूठ पकड़ने टेस्ट या कोई साइकोलॉजिकल टेस्ट क्यों नहीं कराया गया?'
  • कोर्ट ने सवाल किया कि सीबीआई ने राकेश अस्थाना को दूसरे आरोपियों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ क्यों नहीं की?

इसके पहले 

विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा था कि इस मामले में बड़ी भूमिका निभाते दिख रहे कुछ आरोपी आजाद क्यों घूम रहे थे, जबकि सीबीआई ने अपने ही डीएसपी को गिरफ्तार कर लिया था. सीबीआई ने कहा कि श्रीवास्तव की भूमिका के संबंध में जांच जारी है और इस संबंध में अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है. सीबीआई ने अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी. दोनों को मामले में आरोपी बनाने के पर्याप्त सुबूत नहीं होने के कारण इनके नाम आरोपपत्र के कॉलम 12 में लिखे गए थे. सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

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मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ 2017 के मामले में सना पर भी जांच चल रही है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी मुकर्रर की है. एजेंसी ने इस मामले के संबंध में मंगलवार को दुबई स्थित कारोबारी और कथित बिचौलिए मनोज प्रसाद के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. आरोप पत्र में अस्थाना को क्लीनचिट दी गई है. एजेंसी ने रॉ प्रमुख एस के गोयल को भी क्लीनचिट दी गई है. 2018 में गिरफ्तार किये गये सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी क्लीनचिट दी गई है. उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी. प्रसाद को 17 अक्टूबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें उसी साल 18 दिसंबर को जमानत मिल गई.

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इससे पहले सीबीआई 60 दिनों की अनिवार्य समयसीमा के भीतर दिसंबर 2018 तक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी थी, जिसके चलते दिल्ली की अदालत ने प्रसाद को जमानत दे दी. निचली अदालत ने 31 अक्टूबर को कुमार को जमानत दे दी, जिन्हें 23 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. एजेंसी ने उनके आवेदन को चुनौती नहीं देने का फैसला किया था. सीबीआई ने हैदराबाद स्थित कारोबारी सतीश सना की शिकायत पर अस्थाना को गिरफ्तार किया था. सना ने आरोप लगाया था कि मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में राहत पाने अस्थाना ने उसकी मदद की थी. एजेंसी ने इस मामले में प्रसाद को दुबई से आने पर गिरफ्तार किया. सना ने आरोप लगाया था कि प्रसाद और उसके भाई सोमेश ने उसे बरी कराने की एवज में दो करोड़ रुपये लिए थे.