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CBI vs CBI : सीवीसी के सामने पेश हुए आलोक वर्मा, भ्रष्टाचार के आरोपों को किया खारिज

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) निदेशक आलोक वर्मा गुरुवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सामने पेश हुए. उन्होंने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया.

Updated on: 08 Nov 2018, 07:12 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) निदेशक आलोक वर्मा गुरुवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सामने पेश हुए. आलोक वर्मा से केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी ने पूछताछ की, इस दौरान वर्मा ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया. आलोक वर्मा सीवीसी के दफ्तर में दोपहर को पहुंचे थे और करीब दो घंटे तक रुके. सीवीसी अधिकारियों ने बिना किसी अन्य जानकारी दिए बताया कि वर्मा ने के वी चौधरी और सतर्कता आयुक्त शरद कुमार से मुलाकात की.

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को अस्थाना द्वारा वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच को पूर्ण करने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग को दो सप्ताह का समय दिया था. सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों के बीच उपजे विवाद के बाद 24 अक्टूबर को सरकार ने वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. अधिकारियों के मुताबिक, राकेश अस्थाना ने भी सीवीसी से मुलाकात की.

बता दें कि पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक की निगरानी में केंद्रीय सर्तकता आयोग आलोक वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही है. वर्मा को उनके कार्यभार से हटा दिया गया है.

अधिकारियों ने कहा कि अस्थाना द्वारा वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों से सतर्कता आयोग ने हाल ही में पूछताछ की है.

वर्मा ने मंगलवार को अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को खारिज किया था और कहा कि उन्होंने जो कार्रवाई की वह अस्थाना के खिलाफ चल रहे मामले की जांच से संबंधित थी.

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सीवीसी को दिए जवाब में वर्मा ने अस्थाना द्वारा लगाए गए सभी आठ आरोपों पर अपने जवाब पेश किए. अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव से शिकायत की थी कि मांस कारोबारी मोईन कुरैशी के मामले में आरोपी सतीश बाबू साना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी.

वर्मा ने अपने खिलाफ लगे आरोपों और सरकार द्वारा अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई में आंतरिक कलह उस समय सार्वजनिक हो गई जब हैदराबाद के व्यवसायी साना के बयान के आधार पर अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

सीबीआई ने 15 अक्टूबर को साना से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. आरोप है कि मीट कारोबारी मोईन कुरैशी के केस को रफ-दफा करने के लिए दो बिचौलियों मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के जरिये दो करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.