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सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट से पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की रिमांड मांगी

आखिरकार दो दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सीबीआई की टीम ने बुधवार रात देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया है.

Updated on: 22 Aug 2019, 05:33 PM

नई दिल्ली:

आखिरकार दो दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सीबीआई की टीम ने बुधवार रात देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें सीबीआई के लॉकअप में ही रात काटनी पड़ी. सीबीआई ने राउज एवेन्‍यू कोर्ट में पी चिदंबरम को पेश किया, जहां उन्होंने उनकी 5 दिन की रिमांड मांगी है. CBI की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और पी चिदंबरम की ओर से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिंघल, विवेक तनखा पक्ष रख रहे हैं.

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राउज एवेन्‍यू कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की जमानत पर सुनवाई चल रही है. सीबीआई ने पी चिदंबरम की कोर्ट से 5 दिन की रिमांड मांगी है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता INX मीडिया केस की जानकारी कोर्ट को दे रहे हैं. उन्होंने कहा, कल हमने चिंदबरम के खिलाफ NBW भी कोर्ट से जारी करवाया था. पी चिंदबरम सवालों से बच रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं.

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में आगे कहा, रिमांड की जरूरत इसलिए है, ताकि इस मामले में बाकी आरोपी और अहम दस्तावेजों से मिलान कराया जा सके. डीएचसी से पहले मिली राहत का दुरुपयोग किया गया. उन्होंने DHC के हालिया फैसले का हवाला दिया है. सॉलिसीटर जनरल ने आगे कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना कि अपराध की गम्भीरता इतनी ज्यादा है कि गिरफ्तारी पर रोक को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. जांच सही दिशा में तभी बढ़ पाएगी, जब चिंदबरम कस्टडी में होंगे. ये मनी लॉन्ड्रिंग का अपने आप में क्लासिक केस नहीं है. मनी ट्रेल का पता करना जरूरी है.

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तुषार मेहता अब कस्टडी में पूछताछ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के किसी पुराने फैसले केस हवाला दे रहे हैं. डीएचसी के हालिया फैसले का हवाला दे रहे हैं. तुषार मेहता ने चिंदबरम को कुर्सी पर बैठने को ऑफर किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया है. वे कोर्ट रूम में खड़े ही हैं. तुषार मेहता ने केस डायरी को कोर्ट के सामने रखा है.

सीबीआई का पक्ष पूरा हो गया है. अब पी चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल ने बहस शुरू की. उन्होंने कहा, इस मामले में जमानत मिल चुकी है. सीए भास्करण को भी जमानत मिल चुकी है. जिनको बेल मिली, उसको CBI ने चैलेंज भी नहीं किया. अब जांच लभगभ पूरी हो चुकी है. कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि FIPB अप्रोवाल में सरकार के 6 सेकेट्री की भी मंजूरी शामिल थी, लेकिन उनमें तो किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई.

कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने कहा कि ये तो पूरी तरह से दस्तावेजों का मामला है. सेक्टररीज ने चिंदबरम को सिफारिश किया, जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी. सीबीआई ने महज एक बार पूछताछ की आपको जरूरत थी तो दोबारा बुला लेते. सीबीआई जो कह रही है, एकमात्र वही परमसत्य नहीं है. सीबीआई और ईडी ने जब भी चिदंबम को बुलाया वो हाजिर हुए हैं. कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि पिछली रात सीबीआई ने कहा कि वो पूछताछ करना चाहती है पर रात 12 बजे तक उन्होंने पूछताछ नहीं शुरू की. रात में केवल 12 सवाल पूछे गए. अभी भी उन्हें ये पता नहीं कि आगे क्या पूछना है.

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि जो सवाल पूछे भी गए, उनसे चिंदबरम का कोई वास्ता ही नहीं है. सीबीआई जानबूझकर टाइम बर्बाद कर रही है. जितने सवाल पूछ गए, सबका जवाब चिदबंरम ने दिया. पी चिदंबरम ने 12 के 12 सवालों का जवाब दिया. सीबीआई की दलील है कि पी चिदंबरम सवालों से बच रहे हैं वो बिल्कुल बेमानी है. 2017 में FIR दर्ज हुई. 2018 में आखिरी बार पूछताछ हुई. जब चाहे सीबीआई पूछताछ कर सकती है.

कपिल सिब्बल ने कहा कि जब सीबीआई की टीम गिरफ्तार करने के लिए पहुंची तो चिंदबरम ने उनसे आग्रह किया कि वो पिछली रात सोए नहीं हैं. सीबीआई चाहे तो उन्हें कल गिरफ्तार कर सकती है पर सीबीआई ने इंकार कर दिया. इस मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. अगर सीबीआई को कुछ दस्तावेज चाहिए थे तो वह चिंदबरम को लेटर लिखा होता ऐसा तो सीबीआई ने नहीं किया. 

कपिल सिब्बल ने कहा कि सही कहे तो इस केस का सबूतों से कोई वास्ता नहीं है, वजह कुछ और है. कस्टडी अपवाद है, नियम नहीं. कस्टडी हासिल करने के लिए प्रॉसिक्यूशन एजेंसी के पास पुख्ता सबूत और केस होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, जिस तरीके से सीबीआई केस को रख रही है, मेरा एतराज है. केस डायरी कोई अपने आप में सबूत नहीं है. केस डायरी सिर्फ जांच में सहयोग के लिए होती है. कपिल सिब्बल की जिरह पूरी हो गई है. 

अब अभिषेक मनु सिंघवी अपना पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने कोर्ट के सामने कहा- इंद्राणी मुखर्जी के बयान के चार महीने के बाद चिंदबरम को पूछताछ के लिए बुलाया गया. पिछले 11-12 महीने में तो पूछताछ तक नहीं हुई. सीबीआई का पूरा केस महज केस डायरी और इंद्राणी के बयान तक सीमित है. गिरफ्तारी तभी होनी चाहिए, जब बेहद अपरिहार्य हो. जून 2018 के बाद आप पूछताछ की जरूरत नहीं समझते और फिर एकाएक गिरफ्तार कर लेते हैं. क्या एजेसी गिरफ्तारी के लिए इतनी लालायित है, लेकिन ऐसा क्यों. 

अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, अब इनके पास कस्टडी मांगने का आधार महज इतना है कि इंद्राणी को सरकारी गवाह बना दिया गया है. हकीकत ये है कि इंद्राणी को अब सरकारी गवाह बनाया गया है वो भी 2018 के बयान के आधार पर. अब सिंघवी सुप्रीम कोर्ट का कोई पुराना फैसला पढ़ रहे हैं. सिंघवी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि फैसला कहता है कि महज किसी बात को कबूलवाने के लिए आप कस्टडी की मांग नहीं कर सकते हैं. जबकि सीबीआई की दलील क्या है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, कस्टडी इसलिए चाहिए क्योंकि पी चिंदबरम मनमुताबिक जवाब नहीं दे रहे हैं. ये भला कस्टडी मांगने का आधार कैसे हो गया है. उन्होंने आगे कहा, सिर्फ इसलिए कि मैं इनके मुताबिक जवाब नहीं दे रहा तो इसका क्या ये मतलब हो गया कि मैं सवालों से बच रहा है, जांच में सहयोग नहीं दे रहा. सीबीआई अभी तक ये साबित नहीं कर पाई है कि मैं कानून से भागने वाला इंसान हूं या फिर सबूतों से छेड़छाड़ कर रहा हूं. अब सवालों से बचने का बहाना का आरोप लग रहा है, लेकिन पी चिंदबरम वो नहीं बोलेगे जो सीबीआई चाहती है, वो पूछताछ में वही कहेंगे जो सच है. सिंघवी फिर दोहरा दे रहे हैं कि पुलिस रिमांड सिर्फ असाधारण हालातों में ही दी जा सकती है.

उन्होंने आगे कहा- बेल खारिज करने के तीन आधार हो सकते हैं. पहला जांच में असहयोग, दूसरा कानून से भागने का रिस्क और तीसरा सबूतों से छेड़छाड़ करना. चिंदबरम के केस में ये तीनों ही बातें नहीं हैं, फिर कस्टडी मांगने का आधार क्या है. आप दस बार बुलाते हैं, हम 5 बार आते तो आप बोल सकते थे कि जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सवालों से बच रहे हैं पर यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है.

पी चिंदबरम ने कोर्ट से आग्रह किया कि मैं कुछ बोलना चाहता हूं. SG तुषार मेहता ने विरोध किया. इसके बाद सिंघवी ने दिल्ली HC के फैसले का हवाला दिया. उन्होंने कहा- आरोपी भी कोर्ट में अपनी बात रखने का हक रखता है, लेकिन SG तुषार मेहता ने विरोध किया. मेहता ने कहा- कानून की नजर में सब बराबर है. पी चिंदबरम के लिए भी कोई रियायत नहीं होनी चाहिए. हम ऐसे आरोपी से निपट रहे हैं, जो लगातार सवालों से बच रहा है. अभी जांच जारी है. आगे हमें उनसे सवाल पूछने हैं.

तुषार मेहता ने आगे कहा- दो वकील उनकी ओर से पहले ही बोल चुके हैं, फिर उनके बोलने का क्या औचित्य है. सिंघवी ने पेशकश की कि जज उनसे सवाल पूछ सकते हैं, लेकिन तुषार मेहता ने फिर विरोध किया. कहा- ये तो कोर्ट के नियम कानूनों से बाहर की बात है. जो सवाल जांच के दौरान हमें पूछने हैं, वो यहां कोर्ट में कैसे पूछे जा सकते हैं. चिंदबरम की तरफ से एक नहीं, दो वकील बोले, हमने ऐतराज नहीं किया पर इसकी इजाजत नहीं होनी चाहिए.

मेहता ने आगे कहा, आप मेरे पूछताछ के अधिकार को नहीं छीन सकते हैं. ये इस देश के प्रति मेरा फर्ज है. तुषार मेहता अब ये जस्टिफाई कर रहे हैं कि आखिर एक ही बार पूछताछ के लिए क्यों बुलाया गया. कहा- हमें पता था कि हम सच तक नहीं पहुंच पाएंगे अगर उनकी गिरफ्तारी पर कोर्ट से लगी रोक बरकरार रहती है. अभी अभी गिरफ्तारी से रोक हटी है, जब HC ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज की है.

तुषार मेहता ने आगे कहा, कानून से न भागने की बात बेमानी है. अगर हम मामले की तह तक नहीं जा रहे तो देश के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. एक बार चिंदबरम ने कोर्ट से आग्रह किया कि मैं एक मिनट में अपनी बात रखना चाहता हूं. तुषार ने विरोध किया. कहा- वकील से बात कर ले. तुषार ने कोर्ट से आग्रह किया कि इसकी इजाजत मत दीजिए. नई परम्परा की शुरुआत मत कीजिये. 

इसके बाद कोर्ट ने पी चिंदबरम को बोलने की इजाजत दे दी. इस पर चिदंबरम ने कोर्ट के सामने कहा, मैंन हर सवाल का जवाब दिया है. रकम के बारे में मुझसे पूछा ही नहीं गया. सिर्फ विदेश में बैक अकाउंट के बारे में पूछा गया. जो मुझसे पूछा गया, उसका मैंने जवाब दे दिया. मुझसे मेरे और मेरे बेटे के बैंक खातों के बारे में पूछा गया. चिदंबरम ने कहा कि मेरा विदेश में कोई बैंक खाता नहीं है. मेरे बेटे का खाता विदेशों में है. 5 मिलियन की रकम के बारे में कोई बात नहीं हुई. उन पर लगाए सारे आरोप निराधार है. कोर्ट में बहस पूरी हो गई है. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. 30 मिनट के बाद अदालत पी. चिदंबरम पर फैसला सुनाएगी.