जम्मू एवं कश्मीर के हजारों युवाओं का करियर दांव पर : कश्मीरी नेता
पूर्व मंत्री ने कहा, बी.फार्मा और डी.फार्मा के इच्छुक उम्मीदवारों को फार्मेसी लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने से चिकित्सा सहायकों के करियर को खतरा पैदा हो गया है
नई दिल्ली:
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व वित्तमंत्री अलताफ बुखारी ने बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जम्मू एवं कश्मीर के चिकित्सा सहायकों को केंद्रीय फार्मेसी अधिनियम (CPA) के दायरे में लाने और उनके साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लगभग 30,000 चिकित्सा सहायकों का करियर दांव पर है, क्योंकि केंद्रीय कानून केवल डिग्री और डिप्लोमा धारकों का ध्यान रखती है, जैसे कि फार्मेसी में बैचलर और फार्मेसी में डिप्लोमा रखने वाले धारकों का.
पूर्व मंत्री ने कहा, बी.फार्मा और डी.फार्मा के इच्छुक उम्मीदवारों को फार्मेसी लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने से चिकित्सा सहायकों के करियर को खतरा पैदा हो गया है, जिन्होंने सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों से एक ही विषय का एक ही पाठ्यक्रम से अध्ययन किया है.
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बुखारी ने कहा, लेकिन दुर्भाग्य से, जम्मू एवं कश्मीर पर लागू नए फार्मेसी कानून ने उनका भविष्य धूमिल कर दिया है. योग्य पेशेवरों के इस सेक्शन की वास्तविक शिकायतों को दूर करने के लिए भारत सरकार और संबंधित मंत्रालय को सभी ठोस उपाय करने होंगे. उन्होंने जल्द से जल्द सीपीए में आवश्यक संशोधन की मांग की. बुखारी ने कहा कि सीपीए से चिकित्सा सहायकों को बाहर करने के पीछे कोई तर्क नहीं है, जो अक्टूबर 2019 के बाद जम्मू एवं कश्मीर पर लागू किया गया था.
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