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CAA : नागरिकता कानून लागू करने में इस तरह राज्‍यों की अनदेखी कर सकती है मोदी सरकार

अब मोदी सरकार इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की तैयारी में है. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से राज्‍यों की लागू न करने की धमकी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

Updated on: 01 Jan 2020, 08:44 AM

highlights

  • सीएए के तहत पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने की तैयारी में केंद्र सरकार
  • राज्यों की दखलंदाजी रोकने के लिए डीएम को आवेदन नहीं देने पर विचार

नई दिल्‍ली:

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर केरल और केंद्र आमने-सामने आ गए हैं. वामदल शासित केरल (Kerala) CAA को विधानसभा में खारिज करने वाला पहला राज्य बन गया है. हालांकि राज्‍य सरकारों की ओर से उठते विरोध के सुर के बीच मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है. अब मोदी सरकार इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की तैयारी में है. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से राज्‍यों की लागू न करने की धमकी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

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मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, केरल विधानसभा समेत किसी भी विधानसभा को नागरिकता पर कोई भी कानून या प्रस्ताव पारित करने का अधिकार नहीं है. इस संबंध में सारी शक्ति सिर्फ संसद के पास है. केंद्र सरकार के कुछ अफसरों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता ग्रहण करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के जरिये आवेदन देने की मौजूदा प्रक्रिया दरकिनार करने के विकल्प पर विचार कर रहा है.

गृह मंत्रालय (Home Ministry) के अफसरों का कहना है कि अगर सीएए के तहत भारतीय नागरिकता देने की पूरी प्रक्रिया ही ऑनलाइन कर दी जाए तो किसी भी राज्य का किसी भी स्तर पर इस प्रक्रिया में कोई दखल नहीं रह जाएगा. गृह मंत्रालय के वरिष्ठतम अधिकारियों के मुताबिक ऐसा तब करना पड़ रहा है जबकि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सीएए को लागू करना सिर्फ केंद्रीय सूची में आता है. केंद्रीय सूची में आने वाले एक केंद्रीय कानून को लागू करने से मना करने का अधिकार किसी भी राज्य के पास नहीं है. सातवीं अनुसूची में आनेवाले 97 विषयों में रक्षा, विदेश मामले, रेलवे, नागरिकता आदि आते हैं.

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बताया जा रहा है कि केरल के बाद तमिलनाडु में विपक्षी दल द्रमुक और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस नेता यहां की विधानसभाओं में नए नागरिकता कानून को खारिज करने के पक्ष में हैं. इसी तरह तमिलनाडु में विपक्षी दल द्रमुक ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक से केरल की तर्ज पर काम करने का आग्रह किया है. द्रमुक प्रमुख स्टालिन ने फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री पलानीस्वामी से कहा कि वह छह जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाएं. बंगाल सरकार ने भी इस कानून को नहीं लागू करने का एलान किया है.

इससे पहले, 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ एक प्रस्ताव सत्तारूढ़ माकपा-एलडीएफ और विरोधी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के समर्थन से पारित हुआ है. भाजपा के इकलौते विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री ओ.राजगोपाल ने इसका विरोध किया. सीएए पर चर्चा के लिए एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाए जाएंगे. साथ ही केरल में राष्ट्रीय जनसंख्या नियंत्रण रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया को भी आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. हालांकि सामान्य जनगणना संबंधी गतिविधियों में राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहेगा.

इस बीच, भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्ह राव ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से आग्रह किया कि केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने पर वे केरल के मुख्यमंत्री के खिलाफ संसद के विशेषाधिकार हनन की प्रक्रिया शुरू करें.