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केंद्र की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ बीजेपी सांसद का हल्ला बोल, लखनऊ में सावित्री बाई फुले करेंगे रैली

SC/ST (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) एक्ट के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में विरोध के सुर उठने लगे हैं।

Updated on: 28 Mar 2018, 11:46 AM

highlights

  • केंद्र सरकार की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ बीजेपी सांसद ने खोला मो
  • केंद्र की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले करेंगी रैली

नई दिल्ली:

SC/ST (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) एक्ट के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में विरोध के सुर उठने लगे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तत्काल बाद जहां पार्टी के दलित सांसदों ने सामाजिक न्याय मंत्री से मिलकर इसके खिलाफ समीक्षा याचिका दायर किए जाने की मांग रखी वहीं अब पार्टी की सांसद ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

उत्तर प्रदेश के बहराइच से बीजेपी की सांसद सावित्री बाई फुले एक अप्रैल को लखनऊ में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ रैली करने जा रही है।
फुले की यह रैली केंद्र सरकार की एससी-एसटी विरोधी नीतियों के खिलाफ होगी।

केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला ऐसा मौका है जब पार्टी की सांसद अपनी सरकार के खिलाफ दलितों के मुद्दे पर रैली करने जा रही हैं।
बीजेपी सांसद की इस रैली से विपक्ष के केंद्र सरकार के दलित विरोधी होने के आऱोपों को बल मिलेगा।

इससे पहले गुजरात में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर बीजेपी के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो चुका है वहीं महाराष्ट्र में भी भीमा-कोरगांव हिंसा को लेकर राज्य सरकार दलित संगठनों के निशाने पर है।

इस बीच एक अन्य घटनाक्रम में अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की गुजारिश करने वाले हैं।

अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट-1989) के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं।

इनका मानना है कि एक्ट में बदलाव से दलितों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

विपक्षी दलों के अलावा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई दलित सांसदों ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर सरकार से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग का हवाला देते हुए तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी, साथ ही कोर्ट ने ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान भी जोड़ दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मामला दर्ज होने के पहले जांच की जाएगी उसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

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