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जाधव को कॉन्सुलर एक्‍सेस देगा पाकिस्‍तान, चौतरफा घिरने के बाद घुटनों के बल बैठे इमरान

पाकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव के मामले में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है. जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद बौखलाए पाकिस्‍तान को एक बार फिर झुकना पड़ा है.

नई दिल्‍ली:

पाकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव के मामले में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है. जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद बौखलाए पाकिस्‍तान को एक बार फिर झुकना पड़ा है. कुलभूषण जाधव को कांउसलर एक्सेस देने से इनकार कर चुके पाकिस्‍तान अब अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए एक बड़ी पहल की है. पाकिस्‍तान की इमरान सरकार ने भारत सरकार के सामने 2 सितंबर को कुलभूषण जाधव को कांउसलर एक्सेस देने की बात कही है.

बता दें इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को कांउसलर एक्सेस देने का आदेश दे दिया है. जिसके बाद बाद पांचवीं बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत और पाकिस्तान आमने-सामने आ गए है. बता दें कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस देेने से इंकार कर दिया था. 

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20 साल पहले भी हुआ था जाधव जैसा फैसला 

20 साल पहले 1999 में पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया था. पाकिस्तान का आरोप था कि भारत ने जानबूझ कर पाकिस्तान के टोही विमान को मार गिराया. जबकि सच यह था कि 16 सैनिकों को ले जा रहा पाकिस्तान का विमान जासूसी के इरादे से भारत के कच्छ में घुस आया था. पाकिस्तान के इस आरोप को कोर्ट की 15 जजों की फीठ ने 21 जून 2000 को बहुमत से खारिज कर दिया था. 

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1973 में भारत और पाकिस्तान का आमना-सामना

1973 में भारत और पाकिस्तान का आमना-सामना इंटरनेशनल कोर्ट में हुआ. 1971 के युद्ध के बाद 1973 में पाकिस्तान भारत के खिलाफ आईसीजे पहुंचा. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत 195 युद्ध बंदियों को बांग्लादेश शिफ्ट कर रहा है. जबकि उन्हें भारत में गिरफ्तार किया गया है. पाकिस्तान ने इसे गैरकानूनी बताया. दोनों देशों के बीच इस मसले पर कानूनी लड़ाई चली थी. इसके बाद कोई फैसला आने से पहले ही दोनों देशों ने 1973 में न्यू दिल्ली एग्रीमेंट साइन कर लिया था.