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बेटी बचाओ: पढ़ें, रेप की ऐसी भयावह घटनाएं जिसने देश को सोचने पर मजबूर कर दिया

तो आइए जानते हैं भारत में अब तक हुई रेप की ऐसी घटनाओं के बारे में जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। क्योंकि इसमें बर्बरता की सभी सीमा को पार कर दिया गया था।

Updated on: 08 Oct 2017, 08:16 AM

नई दिल्ली:

वक्त बदला, जमाना बदला लेकिन महिलाओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है। देश में रेप की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं और इन में से कई मामलों में उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा।

यह बेहद अजीब है कि एक तरफ हम नए भारत की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर लड़कियों के साथ रेप जैसी घटनाओं की वजह उनके कपड़ों को बता देते हैं। आम जनता से लेकर हमारे नेता तक लड़कियों के कपड़ों पर टिप्पणी करने से पीछे नहीं रहे। 

आप सभी को निर्भया के साथ हुई रेप की वारदात याद होगी। इस घटना ने सभी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था। इस घटना ने मानवता के ऊपर भी कई सवाल खड़े कर दिए थे। इस घटना के बाद लोगों में काफी रोष भी देखा गया। 

निर्भया के साथ हुई इस भयानक वारदात ने कानून तक बदलने को मजबूर किया। इस घटना ने कानून तो बदलने पर मजबूर किया लेकिन समाज की प्रवृति नहीं बदल सकी। निर्भया के बाद भी रेप के आंकड़ों में कोई कमी नहीं देखी गई। देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार की खबरें अब भी रोजाना आती रहती हैं।

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तो आईए, नजर डालते हैं भारत में अब तक हुई रेप की ऐसी घटनाओं पर जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। ये ऐसी घटनाएं रहीं जिसने बर्बरता की सभी सीमाओं को पार कर दिया था। इन घटनाओं के बाद न्याय के लिए पीड़ित महिलाओं को लम्बा संघर्ष करना पड़ा तो कई ऐसे मामले हैं जहां इंसाफ के इंतज़ार में उन्होंने दम तोड़ दिया।

1. निर्भया रेप केस

हम सबसे पहले बात करेंगे रेप की उस घटना की जिसने क़ानून को बदलने पर मज़बूर कर दिया था। साल 2012 की 16 दिसंबर की तारीख जिसे इतिहास में काले दिन के रूप में याद किया जाएगा।

इस दिन निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी। रात अधिक होने के कारण उसे कोई भी ऑटो नहीं मिला। इस वजह से उसे दिल्ली के एक इलाके द्वारका तक जाने के लिए मुनिरका से बस लेनी पड़ी। बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री ही सवार थे। बस के कुछ दूर आगे जाने के बाद वह सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे। 

निर्भया के दोस्त ने छेड़छाड़ का विरोध किया लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ मारपीट शुरु कर दी। उसे इतना पीटा गया कि वह बेहोश हो गया। जिसके बाद 6 आरोपियों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया और बर्बरता की सभी हदें पार कर दीं।

इस मामले में पीड़िता के शरीर पर कई गंभीर चोटें आई थीं जिस वजह से उसका भारत में इलाज संभव नहीं हो पाया। इसलिए उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां 29 दिसंबर रात के करीब सवा दो बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया था।

इस मामले के लिये विशेष तौर पर गठित त्वरित अदालत ने चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई और नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह भेज दिया गया था।

इस मामले में मुख्य आरोपी राम सिंह ने कथित तौर पर जेल में ही आत्महत्‍या कर ली थी। बाकी बचे चार अपराध‌ियों को अदालत फांसी की सजा सुना चुकी है।

2. अरुणा शानबाग रेप केस

साल 1973 में रेप का ऐसा केस सामने आया था जिसके बाद पीड़िता ने अपनी आखिरी सांस अस्पताल के बिस्तर पर ली। मुंबई के एक अस्पताल में काम करने वाली नर्स अरुणा का अस्पताल के ही एक सफाई कर्मचारी सोहनलाल भर्था वाल्मिकी ने सोडोमी (अप्राकृतिक सेक्स) रेप किया था।

सोहनलाल वाल्मिकी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उसे कोर्ट से डकैती और मारपीट के लिए सात साल कैद की सजा मिली। उस पर न तो रेप, न ही अप्राकृतिक संबंध और ना ही दुराचार की किसी धारा के तहत केस चला।

1980 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने अस्पताल में सात सालों से एक ही बेड पर पड़ी अरुणा को निकालने के लिए दो बार प्रयास किए लेकिन नर्सों के विरोध के बाद बीएमसी को अपना इरादा बदलना पड़ा था।

जिस हॉस्पिटल में अरुणा काम करती थी और जहां उनके साथ दुराचार हुआ उन्होंने उसी हाॅस्पिटल में 18 मई 2015 को अंतिम सांस ली थी।

3. भंवरी देवी गैंगरेप केस

जब-जब महिलाओं ने समाज की कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की, तब-तब उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई है। ऐसा ही आज से कई साल पहले 22 सितंबर 1992 को राजस्थान के एक गांव में किया गया था। तब एक अनपढ़ और पिछड़ी जाति की महिला ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई तो ऊंची जाति के पांच लोगों ने उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया।

लेकिन निचली अदालत ने उनके बलात्कारियों को आरोपों से बरी कर दिया और वो आज़ाद घूमते रहे। लेकिन भंवरी ने कभी हार नहीं मानी और वो लड़ती रही।

निचली अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ भंवरी देवी की अपील हाई कोर्ट में लंबित है और भंवरी देवी की अपील पर 22 सालों में केवल एक बार सुनवाई हो पाई है। इस बीच दो अभियुक्तों की मौत भी हो चुकी है। भंवरी देवी केस को मीडिया में काफी दिखाया गया था और उनके समर्थन में काफी खबरें दिखाई गईं थी।

4. मुंबई शक्ति मिल गैंगरेप केस

22 अगस्त 2013 को मुंबई के शक्ति मिल परिसर में एक महिला फोटो पत्रकार के साथ गैंगरेप हुआ। महिला पत्रकार कैमरामैन के साथ शक्ति मिल पर स्टोरी कवर करने गई थी। आरोपियों ने कैमरामैन को मारपीटकर बंधक बनाया और महिला पत्रकार के साथ बलात्कार को अंजाम दिया था।

20 मार्च को कोर्ट ने गैंगरेप के लिए सिराज खान, सलीम अंसारी, मोहम्मद कासिम उर्फ कासिम बंगाली समेत चार आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने माना कि उन पर लगे आरोप बेहद संगीन हैं। आरोपियों ने 31 जून 2013 को भी शक्ति मिल में ही एक टेलिफोन ऑपरेटर से गैंगरेप किया था।

अदालत ने शक्ति मिल में महिला पत्रकार के साथ हुए गैंगरेप के मामले में तीन दोषियों को फांसी और एक को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी।

पत्रकार के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में कुल पांच आरोपी थे जिनमें एक नाबालिग था। अदालत से सजा के बाद दोषियों ने हाईकोर्ट का रुख किया और बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभी तक इस मामले पर कोई फैसला नहीं सुनाया है।

5. रोहतक रेप केस

हरियाणा के रोहतक में एक सिरफिरे आशिक ने अपनी सनक की वजह से एक लड़की को ऐसी मौत दी कि रूह तक कांप उठे। रोहतक में लड़की से एकतरफा प्यार करने वाले आरोपी ने अपने दोस्त के साथ मिलकर उसके साथ बलात्कार किया और बाद में उसके चहेरे को पत्थरों से कुचल दिया। आरोपियों ने पीड़िता के शरीर को भी क्षत-विक्षत कर दिया था। पीड़िता सोनीपत की रहने वाली थी।

6. बदायूं रेप केस

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में बेखौफ अपराधियों ने दो नाबालिग बहनों के साथ बलात्कार करने के बाद उनकी हत्या कर दी और बाद में उनकी लाश को एक पेड़ से लटका दिया था।

7. मुरथल रेप केस

जाट आंदोलन के दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप की खबरों के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। मीडिया में कुछ रिपोर्टें सामने आईं जिसमें यह बताया गया कि हरियाणा में चल रहे जाट आंदोलन के दौरान मुरथल हाईवे पर कथित रूप से 10 महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया।

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में बताया गया कि सोनीपत जिले में नेशनल हाईवे-1 पर कुछ वाहनों को रोककर (जिनमें बसें भी थी) उनमें सवार महिलाओं को खेतों में ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया गया। गैंगरेप के बाद पीडि़त महिलाओं को निर्वस्‍त्र करके वहीं खेतों में छोड़ दिया गया।

इन रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से यह बताया गया कि 17 फरवरी की सुबह चार बजे के करीब 30 उपद्रवियों ने मुरथल के पास एनएच-1 पर एनसीआर जाने वाले वाहन रोके और कुछ को आग लगा दी, जिसमें बस भी शामिल थीं। कई लोग भाग गए पर कुछ महिलाएं रह गईं। उपद्रवियों ने इनके कपड़े फाड़ दिए और महिलाओं से गैंगरेप किया। चश्मदीदों के मुताबिक, रेप के बाद महिलाओं को खेतों में ही छोड़ दिया गया था।

आपको बता दें कि अब भी रेप की कई घटनाएं पुलिस थानों तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि कई मामलों में पीडि़ता का रेप करने वाला उसका करीबी रिश्तेदार होता है। तो कभी समाज में इज्जत बचाने के नाम पर केस को दबा दिया जाता है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर एक घंटे में 4 रेप की वारदात होती हैं। यानी हर 14 मिनट में रेप की एक वारदात सामने आती है। चौंकाने वाली बात ये भी है कि वर्ष 2014 में रेप की 674 वारदात को महिलाओं के करीबियों ने ही अंजाम दिया।

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