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बिना उबाले दूध पी रहे हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकती है यह जानलेवा बीमारी

अभी तक आप अगर ये सोचते थे कि धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से ही आप कैंसर के शिकार हो सकते हैं तो यह गलत है. दूध पीने से भी आप कैंसर के शिकार हो सकते हैं.

Updated on: 11 Nov 2019, 02:27 PM

नई दिल्ली:

अभी तक आप अगर ये सोचते थे कि धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से ही आप कैंसर के शिकार हो सकते हैं तो यह गलत है. दूध पीने से भी आप कैंसर के शिकार हो सकते हैं. लुवास की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. लुवास द्वारा हाल में दूध देने वाले जानवरों पर स्टडी की गई. इस रिपोर्ट में जानवरों के अल्ट्रासाउंड का डाटा इकट्ठा किया गया. इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है कि गाय और भैंस भी कैंसर (Cancer) की शिकार हो रही हैं. वैज्ञानिकों का मनना था कि कैंसर का शिकार सिर्फ घोड़ियां ही होती है लेकिन दुधारू पशुओं में भी कैंसर के तत्व पाए जा रहे हैं.

बिना उबाले न पिएं दूध
वैज्ञानिकों का मानना है कि दुधारू पशुओं में कैंसर के तत्व पाए जाने के बाद लोगों में भी इसका खतरा बढ़ गया है.
अगर इन दुधारू पशुओं का दूध बिना उबाले पिया तो कैंसर आपको भी हो सकता है. वैज्ञानिकों ने कच्चा जूध पीने से परहेज करने की सलाह दी है. उनका कहना है कि दूध को अच्छी तरह उबालने से उसमें कैंसर फैलाने वाले तत्व खत्म हो जाते हैं. दूध को अच्छी तरह कम से दो बार उबालना चाहिए.

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भैंस और गाय में फैस रहा गर्भाशय का कैंसर
लुवास के गायनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में पशु वैज्ञानिक डॉ. आरके चंदोलिया के मुताबिक जांच में सामने आया है कि गाय और भैंस में गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है. कई मामले सामने आए हैं जिनमें इन दुधारू पशुओं को गर्भाशय के कैंसर का शिकार पाया गया. उन्होंने बताया कि ऐसे मामले में गर्भाशय को निकालकर पशु की जान बचाई जा सकती है लेकिन जरूर है कि इसकी जानकारी समय से मिल सकें.

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रासायनिक दवाओं से पशुओं में फैल रहा कैंसर
खेती में रसायनों के उपयोग से पशुओं का चारा जहरीला बन रहा है. पशुओं को दिए जाने वाले चारे में रासायनिक दवाओं का प्रयोग होता है. इसके अलावा यह रसायन जलाशयों में पहुंच जाता है जिससे पशुओं के पानी पीने से भी उनके शरीर में यह हानिकारण रसायन पहुंच जाते हैं. भारत में पशुओं के इलाज की विदेशों के मुकाबले सुविधा कम है. यहां पशुओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा कम ही मिल पाती है. इससे समय से पशुओं में बीमारी का पता नहीं चल पाता है जिससे उनकी मौत हो जाती है.