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AyodhyaVerdict: एक जज ने हिंदू मत के पक्ष में गुरु नानक और तुलसीदास का दिया हवाला

अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ के इस जज ने भगवान राम के जन्म पर एक अलग ही दृष्टिकोण दिया. हालांकि निर्णय में जज का नाम नहीं दिया गया

Updated on: 10 Nov 2019, 10:01 AM

highlights

  • अयोध्या की सुनवाई कर रही पीठ के इस जज ने भगवान राम के जन्म पर अलग दृष्टिकोण दिया.
  • जज ने बाल कांड में तुलसीदास का भी उल्लेख किया, जहां उन्होंने भगवान विष्णु के लिए चौपाइयां लिखीं.
  • गुरु नानक देवजी के अयोध्या यात्रा के सबूत भी दिए हैं. इस आधार पर जज ने अलग से की टिप्पणी.

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ के एक सदस्य ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी का सन् 1510-11 में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन करने के लिए वहां जाना हिंदुओं के मत और विश्वास को बल देता है. इसके साथ ही इन्हीं जज ने यह भी माना कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण किया गया था. जज ने माना कि हिंदुओं का मत महत्वपूर्ण है.

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जज के दृष्टिकोण को अलग से किया गया दर्ज
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण फैसला देते हुए शनिवार को अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि हिंदुओं को देकर भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए कहीं अन्य पांच एकड़ भूमि देने का आदेश सुनाया. अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ के इस जज ने भगवान राम के जन्म पर एक अलग ही दृष्टिकोण दिया. हालांकि निर्णय में जज का नाम नहीं दिया गया, लेकिन निर्णय में उनके विचार को परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया.

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जनम सखीज में गुरुनानकजी के अयोध्या जाने का उल्लेख
शीर्ष अदालत ने पाया कि जनम सखीज के बाद से राम जन्मभूमि की सही जगह की पहचान के लिए कुछ नहीं था, लेकिन गुरु नानक देवजी के अयोध्या यात्रा के सबूत हैं, जो बताता है कि सन 1528 से पहले भी श्रद्धालु अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन करने के लिए जाते थे. जन्म सखीज को अयोध्या मुद्दे पर रिकॉर्ड के तौर पर लाया गया था. जन्म सखीज को गुरु नानक देव जी की जीवनी होने का दावा किया जाता है.

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क्रॉस एग्जामिनेशन में भी हुई चर्चा
क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान सिख धर्म की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक किताबें पढ़ने वाले राजिंदर सिंह नाम के एक गवाह ने सिख धर्म और इतिहास के लिए कई किताबों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन किए थे. जज ने स्वीकार किया कि हिंदुओं में भगवान राम की जन्मभूमि के स्थान की मान्यता धार्मिक कलाकृतियों और रामायण तथा स्कंद पुराण समेत पवित्र पुस्तकों से बनी है.

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भगवान राम के जन्मस्थान के पर्याप्त प्रमाण
जज ने कहा, "इसलिए, यह निष्कर्ष निकला कि सन् 1528 से पहले के समय में पर्याप्त धार्मिक लेख थे, जिनके कारण हिंदू वर्तमान राम जन्मभूमि को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं." जज ने बाल कांड में तुलसीदास का भी उल्लेख किया, जहां उन्होंने भगवान विष्णु के लिए चौपाइयां लिखीं, जिनमें कहा गया है कि जब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से देवताओं, संतों, गंधर्वो और धरती को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आग्रह किया, तो भगवान विष्णु ने कहा कि 'मैं मानव रूप में कौशलपुरी में राजा दशरथ और कौशल्या के घर जन्म लूंगा.'

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जज ने दिया चौपाइयों का हवाला
जज ने कहा, "चौपाइयों में ना सिर्फ विष्णु के अवधपुरी या अयोध्या में मानव रूप में जन्म लेने का वर्णन है, बल्कि इनमें इसका भी विशेष उल्लेख किया गया है कि वे दशरथ और कौशल्या के घर में मानव रूप में जन्म लेंगे." सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "उपरोक्त कारणों और निर्देशों के आधार पर आदेश लिखते समय पीठ के एक सदस्य ने अलग राय रखी कि विवादित स्थल हिंदुओं के मतों और विश्वास के आधार पर भगवान राम का जन्मस्थान है. संबद्ध जज के कारणों को अतिरिक्त परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया."