अयोध्या केसः अब तक कैसी रही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, देखें हिंदू व मुस्लिम पक्ष के दावे
सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने यह कह कर एक बार फिर सनसनी फैला दी कि कोर्ट का फैसला नवंबर में रामलला के पक्ष में फैसला आएगा.
नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) रविवार को अयोध्या में थे.उन्होंने अयोध्या में रामलला के दर्शन भी किए. सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने यह कह कर एक बार फिर सनसनी फैला दी कि कोर्ट का फैसला नवंबर में रामलला के पक्ष में फैसला आएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहां कि इसी साल राम मंदिर (Ram Mandir) का काम शुरू हो जाएगा. बता दें सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई रोजाना चल रही है. आइए जानें अबतक अयोध्या केस में किस पक्ष ने क्या दलील दी है..
यह भी पढ़ेंः दलीलः श्रीराम जन्मस्थान को लेकर अटूट आस्था, शरीयत के लिहाज़ से विवादित ढांचा मस्ज़िद नहीं
सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की दलील
पहला दिनः 6 अगस्त
निर्मोही अखाड़े की दलील. सबसे पहले निर्मोही अखाड़े ने दलीलें पेश करना शुरू किया. दावा किया कि 1934 से किसी भी मुस्लिम को विवादित ढांचे में प्रवेश नहीं मिला है.
दूसरा दिनः 7 अगस्त
आस्था ही प्रमाण. रामलला विराजमान ने कहा, भक्तों की अटूट आस्था प्रमाण है कि विवादित स्थल ही राम का जन्मस्थान है.
तीसरा दिनः 8 अगस्त
जन्मस्थान वादी हो सकता है? कोर्ट ने रामलला विराजमान के वकील से पूछा कि देवता के जन्मस्थान को मामले में कानूनी व्यक्ति के तौर पर माना जा सकता है? वकील ने कहा, जन्मस्थली कानूनी व्यक्ति की तरह है, वह वादी हो सकता है.
चौथा दिनः 9 अगस्त
रोज सुनवाई में मदद मुश्किल. मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा, यह संभव नहीं है कि हफ्ते में रोज कोर्ट का सहयोग करें.
पांचवां दिनः 13 अगस्त
हिंदू पक्ष की दलीलें जारी. कोर्ट ने पूछा, जमीन पर आपका हक मुस्लिम पक्षकार के साथ साझा है, तब एकाधिकार कैसे? रामलला विराजमान ने कहा, जमीन कुछ समय के लिए बोर्ड के पास जाने से वह मालिक नहीं हो जाता.
छठा दिनः 14 अगस्त
वेद-पुराण का हवाला दिया. रामलला विराजमान की तरफ से ऐतिहासिक किताबों, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों और वेद एवं स्कंद पुराण की दलीलें कोर्ट में पेश की गईं.
सातवां दिनः 16 अगस्त
एएसआई रिपोर्ट का दिया हवाला. रामलला विराजमान के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे मंदिर का बहुत बड़ा ढांचा था. कोर्ट ने सवाल किया था कि मस्जिद के नीचे जो ढांचा था वह धार्मिक स्ट्रक्चर ही था, इसे साबित करें.
आठवां दिनः 20 अगस्त
हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र. रामलला विराजमान के वकील ने इलाहाबाद सीएस वैद्यनाथ मामले में हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, जज ने खुद लिखा है कि भगवान राम का मंदिर ढहाकर मस्जिद बनाई गई.
नौवां दिनः 21 अगस्त
मंदिर अपने आप में भगवान. रामलला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, कोई भी महज मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा कर इस पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता. विवादित भूमि पर मुस्लिम पक्ष व निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज.
दसवां दिनः 22 अगस्त
पुजारी के वकील की दलीलें. पुजारी गोपाल दास के वकील रंजीत कुमार ने कहा, वह मूल पक्षकार हैं. उन्हें जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है और ये उनसे नहीं छीना जा सकता.
यह भी पढ़ेंः सीएम के कुत्ते की हुई मौत, तो डॉक्टरों पर दर्ज हुई FIR
ग्यारहवां दिनः 23 अगस्त
पूजा-प्रबंधन का अधिकार मांग रहे. निर्मोही अखाड़े के वकील जैन को हिदायत दी गई, वह केस की मेरिट पर बात करें. जैन ने कहा, वह सिर्फ पूजा-प्रबंधन व कब्जे का अधिकार मांग रहे हैं.
बारहवां दिनः 26 अगस्त
निर्मोही अखाड़े ने दी ये दलीलें. निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि जन्मस्थान का पजेशन न तो देवता के 'नेक्स्ट फ्रेंड' को दिया जा सकता है न ही पुजारी को.
तेरहवां दिनः 27 अगस्त
शास्त्रों का जिक्र. राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से वकील पी एन मिश्रा ने 'स्कंद पुराण' और 'अयोध्या महात्म्य' जैसे शास्त्रों के आधार पर दलीलें शुरू कीं.
चौदहवां दिनः 28 अगस्त
'औरंगजेब ने तोड़ा मंदिर'. हिंदू पक्षकार के वकील बोले, बाबरनामा में जिक्र नहीं है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनावाई थी. दरअसल, औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई.
पंद्रहवां दिनः 29 अगस्त
बाबर की भूमिका को लेकर बहस. कोर्ट ने रामजन्म भूमि समिति की मांग को समस्या वाला बताया. मांग थी, इसकी छानबीन हो, क्या बाबर ने विवादित ढांचे को 'अल्लाह' को समर्पित किया था.
मुस्लिम पक्ष की दलील
16वां दिन: 30 अगस्त
शिया वक्फ बोर्ड ने 30 अगस्त (शुक्रवार) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने को तैयार है जो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम संगठनों को आवंटित किया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई पूरी की. इसके बाद शिया बोर्ड ने पीठ के समक्ष कहा कि बाबर का कमांडर मीर बकी शिया मुस्लिम था और बाबरी मस्जिद का पहला मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) था.
17वां दिन- 2 सितंबर 2019
सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षों ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि हिन्दुओं ने 1934 में बाबरी मस्जिद पर हमला किया, फिर 1949 में अवैध घुसपैठ की और 1992 में इसे तोड़ दिया और अब कह रहे हैं कि संबंधित जमीन पर उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.
18वां दिन- 3 सितंबर 2019
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ को बताया कि फैजाबाद के तत्कालीन उपायुक्त के के नायर ने स्पष्ट निर्देश के बावजूद मूर्तियों को हटाने की इजाजत नहीं दी. धवन ने पीठ को बताया, 'बाबरी के अंदर देवी-देवताओं की प्रतिमा का प्रकट होना चमत्कार नहीं था. 22-23 दिसंबर 1949 की रात उन्हें रखने के लिए सुनियोजित तरीके से और गुपचुप हमला किया गया.'
20वां दिन- 4 सितंबर 2019
अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में 20वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है. लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष धवन ने निर्मोही अखाड़े के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के बीच वाले गुंबद के नीचे रखा गया था.
21 वां दिन- 11 सितंबर 2019
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में 21 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा. राजीव धवन ने कहा कि संविधान पीठ को दो मुख्य बिन्दुओं पर ही विचार करना है. पहला विवादित स्थल पर मालिकाना हक किसका है और दूसरा क्या गलत परम्परा को जारी रखा जा सकता है. राजीव धवन ने सन 1962 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता, यही कानून के तहत होना चाहिए.
22 वां दिन- 12 सितंबर 2019
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले (Ayodhya Case) में 22 वें दिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा. राजीव धवन ने मुख्य मामले की सुनवाई से पहले अपनी कानूनी टीम के क्लर्क को धमकी दिए जाने की जानकारी कोर्ट को दी और कहा कि ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है. राजीव धवन ने कोर्ट को बताया कि यूपी में एक मंत्री ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर उनका है और सुप्रीम कोर्ट भी उनका है. उन्होंने कहा कि 'मैं अवमानना के बाद अवमानना दायर नहीं कर सकता.' उन्होंने पहले ही 88 साल के व्यक्ति के खिलाफ अवमानना दायर की है.
23वां दिन- 13 सितंबर 2019
उच्चतम न्यायालय में रामजन्मभूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने बहस शुरू की. उन्होंने कहा कि निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मस्जिद होने की बात मानी थी. 1885 और1949 में दायर अपनी याचिकाओं में उसने मस्जिद का जिक्र किया था. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष जिलानी ने कहा- 1885 में निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसमें विवादित जमीन की पश्चिमी सीमा पर एक मस्जिद होने की बात कही गई थी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य