1885 से लेकर 9 नवंबर 2019 तक, जानें 10 महत्वपूर्ण बिंदु
सालों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आज फैसला सुना दिया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने एक-एक कर कई बिंदुओं पर फैसला पढ़ा. आज फैसला सुनाने से पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की.
New Delhi:
Ayodhya Verdict : सालों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आज फैसला सुना दिया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने एक-एक कर कई बिंदुओं पर फैसला पढ़ा. आज फैसला सुनाने से पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की. यह फैसला सर्वसम्मति से हुआ है. यानी 5 जजों की बेंच ने एक मत से फैसला सुनाया. इस दौरान कोर्ट ने जताया आस्था पर विश्वास जताया. सुबह फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि इस बात के सबूत मिले हैं कि हिंदू बाहर पूजा-अर्चना करते थे, तो मुस्लिम भी अंदर नमाज अदा करते थे. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया कि 1857 से पहले ही पूजा होती थी. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि 1949 को मूर्ति रखना और ढांचे को गिराया जाना कानूनन सही नहीं था. संभवतः इसीलिए सर्वोच्च अदालत ने मुसलमानों के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने की व्यवस्था भी की है.
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- 9 नवंबर 2019 : राम जन्मभूमि के हक में आया फैसला
- 6 अगस्त 2019 : SC में अयोध्या केस की सुनवाई शुरू
- 2011 : SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
- 2010 : इलाहाबाद HC ने जमीन को 3 हिस्सों में बांटा
- 6 दिसंबर 1992: ढांचा गिराया गया
- 1986 : जन्मभूमि परिसर का ताला खुला
- 1959 : निर्मोही अखाड़े ने जमीन पर दावा किया
- 1950 : रामलला की पूजा की अनुमति मांगी गई
- 1949 : कोर्ट के आदेश पर परिसर पर ताला लगा
- 1885 : मंदिर निर्माण की मांग को लेकर याचिका
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