logo-image

अयोध्या मसले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस हुए नाराज, धवन को जताना पड़ा खेद

जस्टिस अशोक भूषण ने पूछा कि इस मामले में क्या रामलला विराजमान और श्रीराम जन्म स्थान दोनों अलग-अलग न्यायिक व्यक्ति होंगे या एक ही कहलायेंगे.

Updated on: 01 Oct 2019, 05:13 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में आज सुनवाई का 35वां दिन है. रामलला विराजमान की ओर से के. परासरन मुस्लिम पक्ष की ओर से रखी दलीलों का जवाब दे रहे हैं. परासरन श्रीराम जन्म स्थान को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा देने के समर्थन में दलीलें रख रहे हैं. परासरन ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि भी हिंदुओं के लिए देवता की तरह पूजनीय है. हिंदू धर्म में ईश्वर की विविध रूपों में पूजा होती है. परासरन ने ये भी कहा कि किसी जगह पर मंदिर होने के लिए मूर्ति का होना ज़रूरी नहीं, बल्कि भक्तों की उस जगह की दिव्यता के बारे में आस्था भी मायने रखती है.

यह भी पढ़ें- JIO का Diwali ऑफर: रिलायंस जियो (Reliance Jio) का एक और धमाका, 699 रुपये में घर ले जाएं ये शानदार फोन

मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने परासरन को टोकते हुए कहा कि परासरन ने ज़मीन को न्यायिक व्यक्ति का दर्ज़ा देने की दलील के समर्थन में जितने केस का हवाला दिया है, वहां पहले से मंदिर था. अयोध्या केस में तो मंदिर की मौजूदगी को लेकर विवाद है. के. परासरन ने कहा कि जिस जगह पर लोग सामूहिक रूप से पूजा करते हैं. वो जगह मंदिर ही है. लोगों की आस्था, पूजा ही किसी जगह को मंदिर बनाते हैं. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने पूछा कि किसी सामूहिक पूजा के स्थान पर भक्त अलग-अलग मूर्तियों की पूजा कर सकते हैं, लेकिन अंततः एक मुख्य देवता होगा. जो इस केस में श्रीराम हैं. ऐसी सूरत में क्या सभी मूर्तियां न्यायिक व्यक्ति कहलायेंगे.

यह भी पढ़ें- UP विधानसभा का विशेष सत्र कल, 36 घंटे से ज्यादा चलेगा, बन जाएगा रिकॉर्ड

परासरन ने जवाब दिया कि एक ही संस्थान में कई न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं. एक ही मंदिर में कई देवताओं की मूर्तियां होती हैं. जस्टिस अशोक भूषण ने पूछा कि इस मामले में क्या रामलला विराजमान और श्रीराम जन्म स्थान दोनों अलग-अलग न्यायिक व्यक्ति होंगे या एक ही कहलायेंगे. जस्टिस बोबड़े ने भी जोड़ा कि हर मंदिर में एक मुख्य देवता होता है. जिसके नाम से मंदिर को जाना जाता है. परासरन ने जवाब दिया कि एक ही देवता, एक ही मंदिर के अंदर अनेक रूप में प्रकट हो सकते हैं, उनके अलग अलग रूप हो सकते हैं, लेकिन वो आपस में जुडे हुए ही हैं. ठीक ऐसे जैसे सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग जज/बेंच होते हैं, लेकिन उनके फैसले को सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला कहलायेगा.

के. परासरन ने आगे अपनी दलीलों में ये साफ किया कि एक ही जगह पर दो न्यायिक व्यक्ति साथ-साथ हो सकते हैं. एक मूर्ति के रूप में, एक रामजन्मभूमि के रूप में. सुप्रीम कोर्ट ने SGPC बनाम सोमनाथ दास के मामले में ये साफ किया है. जस्टिस बोबड़े ने के. परासरन से पूछा कि क्या ज्योतिष में श्रीराम के जन्म के वक़्त को लेकर कुछ कहा गया है? परासरन ने कुछ इतिहासकारों का हवाला दिया. जिन्होंने श्रीराम के जन्म के वक़्त को लेकर टिप्पणी की थी.

राजीव धवन ने कहा कि मेरे सारे ग्रह राहु और केतु के बीच है. इसलिए मेरा बुरा वक़्त चल रहा है. शनि भी मुझ पर भारी है. भारत में ज्योतिष विज्ञान सूर्य और चंद्र जन्म के सही वक्त पर आधारित है. हम ग्रहों की गति के मुताबिक हर रोज की घटनाओं को लेकर भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन क्या भगवान राम के केस में ऐसा है? क्या हमें उनके जन्मस्थान/जन्म की तारीख के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ पता है. नहीं ना?रामलला के वकील परासरन ने राजीव धवन की दलील का जवाब देते हुए कहा कि रामनवमी का त्योहार श्रीराम के जन्मदिन के तौर पर देश भर में मनाया जाता है, लेकिन ये त्योहार

अयोध्या यानि भगवान राम के जन्म स्थान पर नहीं मनाया जाता. लिहाज़ा राम जन्मस्थान पर मंदिर बनना ज़रूरी है ताकि वहां जन्मदिन मनाया जाना जा सके. जिरह के बीच मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के बार-बार टोकने पर रामलला विराजमान की ओर से पेश 92 साल के के. परासरन ने नाराजगी जाहिर की. परासरन ने कहा कि धवन जिस तरह टोक रहे हैं, वो ग़लत है. मुझे अपनी बात पूरी रखने दीजिए. धवन ने जवाब दिया कि मुझे भी जिरह के बीच कई बार टोका गया, लेकिन मैंने तो हर सवाल का जवाब दिया. इस पर रामलला की ओर से दूसरे वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि धवन की ये टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है.

के परासरन के बाद रामलला की ओर से दूसरे वकील सीएस वैद्यनाथन दलीलें रख रहे हैं. वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष अब एएसआई रिपोर्ट के हवाले से कह रहा है कि विवादित ढांचे के नीचे ईदगाह था तो क्या उनके कहने का मतलब यह है ईदगाह को ध्वस्त करके बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था. वैद्यनाथन ने कहा कि एक बार अगर ये साबित हो जाए कि भगवान राम उसी जगह पर पैदा हुए थे. तब इस बात का कोई महत्व नहीं रह जाता कि वहां पर कोई मंदिर की मूर्ति स्थापित थी या नहीं. वैद्यनाथन ने कहा कि एक बार अगर ये साबित हो जाए कि भगवान राम उसी जगह पर पैदा हुए थे तब इस बात का कोई महत्व नहीं रह जाता कि वहां पर कोई मंदिर की मूर्ति स्थापित थी या नहीं.