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अयोध्या: सरकारी ज़मीन को मस्जिद निर्माण के लिए नहीं दिया जा सकता- हिंदू पक्ष

अयोध्या मामला में अब हिंदू पक्ष की ओर से पहली पुर्नविचार अर्जी दायर हुई है. हिंदू महासभा ने अर्जी में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है.

Updated on: 09 Dec 2019, 05:17 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामला में अब हिंदू पक्ष की ओर से पहली पुर्नविचार अर्जी दायर हुई है. हिंदू महासभा ने अर्जी में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है. इसके साथ ही हिन्दू महासभा ने फैसले में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणियों को हटाने की मांग की है.

अर्जी में कहा गया है कि विवादित जगह पर कभी मौजूद रहे ढांचे को मस्जिद करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि मुस्लिम पक्ष के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि ज़मीन मस्जिद निर्माण के लिए अल्लाह को समर्पित की गई थी. पुर्नविचार अर्जी में अयोध्या फैसले में एक जज की ओर से अलग से दी गई राय का कई बार हवाला दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि ये ज़मीन श्रीराम का जन्मस्थान है. पूरी ज़मीन हमेशा से देवता की रही है. हिंदू अनंतकाल से इसे श्रीराम का जन्मस्थान मानकर यहां पूजा करते रहे है. मुस्लिम पक्ष इस पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता. अगर ताकत के जोर पर हिंदुओं के लिए इतनी पवित्र जगह पर अगर मुसलमानों ने कोई इमारत बना भी दी हो ,तो भी इससे ज़मीन पर मुस्लिमों का कोई दावा नहीं बन जाता.

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याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह फैसले में दिए उन निष्कर्ष को हटाए जिसके मुताबिक साल1934 ,1949 और 1992 में विवादित ढांचे के अंदर हिंदू पक्ष की ओर से गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया गया था. अर्जी में 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस का जिक्र करते हुए कहा है कि लाखों की संख्या में कारसेवक वहां प्रतीकात्मक कार सेवा के लिए इकट्ठे हुए थे.

अयोध्या फैसले में हुई देरी के चलते उन्होंने संयम खो दिया जिसकी परिणीति विध्वंस के रूप में सामने आई. अर्जी में मांग की है कि कोर्ट फैसले में इसका उल्लेख कर कि फैसले में की गई टिप्पणियों का लखनऊ की निचली अदालत में चल रहे विवादित ढांचा विध्वंश के ट्रायल पर कोई असर नहीं होगा.

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हिंदू महासभा ने अर्जी में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है. अर्जी में कहा गया है कि सार्वजनिक ज़मीन को मस्जिद निर्माण के लिए दिया जाना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ़ है. मस्जिद सिर्फ उसी ज़मीन पर बनाई जा सकती है, जो अल्लाह को समर्पित की गई हो और जिसके लिए वक्फ का निर्माण हुआ हो. सरकारी ज़मीन पर मस्जिद निर्माण की इजाजत नहीं दी जा सकती.