अयोध्या केस SC में सनवाई का 18वां दिन: रामलला का प्रकट होना दैवीय चमत्कार नहीं, बल्कि साजिश थी : मुस्लिम पक्ष
धवन ने कहा है कि हिंदू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते जबकि हकीकत ये है कि 1934 से निर्मोही अखाड़े के बाद में वहां जाने ही नहीं दिया गया.
highlights
- अयोध्या मामले की सुनवाई का SC में 18वां दिन
- मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने की बहस
- अयोध्या में भगवान राम की मूर्तियां प्रकट नहीं हुईं थी
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का 18 वां दिन था. आज पूरे दिन मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने दलीलें रखी . धवन ने कहा कि अयोध्या में 1949 में विवादित जगह में मूर्तियों का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं था, बल्कि कब्जा जमाने के लिए एक सोची समझी साजिश थी. धवन ने अपनी दलीलों के समर्थन में इलाहाबाद हाई कोर्ट में मूर्तियां रखे जाने को लेकर पेश की गई गवाहियों का हवाला दिया. इसके अलावा धवन ने वहां मस्जिद की मौजूदगी को साबित करने के लिए 1950 की विवादित ढांचे की तस्वीर दिखाई जिसके मुताबिक विवादित ढांचे के अंदर तीन जगह अरबी में अल्लाह लिखा हुआ था.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- वहां हिन्दू देवी देवताओं और धार्मिक प्रतीकों से जुड़ी तस्वीरें भी मिली है, उसका क्या. धवन ने जवाब दिया कि ये उनका केस नहीं है. वो वहां मस्जिद की मौजूदगी को साबित करने के लिए दलीलें रख रहे है. लोगों की गवाहियों से साफ है कि मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में नमाज पढ़ी जाती रही. धवन ने कहा है कि हिंदू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते जबकि हकीकत ये है कि 1934 से निर्मोही अखाड़े के बाद में वहां जाने ही नहीं दिया गया. धवन ने कहा कि 1990 में रथ यात्रा के बाद बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ और अब ये सिलसिला रुकना चाहिए, अब और रथ यात्रा नहीं होनी चाहिए. धवन ने फैज़ाबाद के डीएम के के नायर का हवाला दिया जिसने वहां पर मूर्तियों को हटाने से ही इंकार कर दिया.
धवन के मुताबिक 1947 में जहां तात्कालीन पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में तोड़ी गयी 30 मस्जिदों को नबनवाने का आदेश दिया, वहीं दूसरी ओर फैज़ाबाद के डीएम के के नायर थे, जो कह रहे फैज़ाबाद में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया. उन्होंने कोर्ट के आदेश के बावजूद वहाँ से मूर्ति नहीं हटाई.बाद में इन्हीं के के नायर की फोटो इमारत में लगाई गई, जिससे साफ जाहिर होता है कि वो हिंदुओं के पक्ष में भेदभाव कर रहे थे. धवन ने इस बात को साबित करने के लिए 1990 के फोटोग्राफ दिखाए जिसके मुताबिक विवादित ढांचे के गुम्बद पर के के नायर, सिटी मजिस्ट्रेट गुरुदत्त सिंह के स्केच लगे थे. राजीव धवन ने कहा है कि हिंदू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते. जबकि हकीकत ये है कि 1934 के निर्मोही अखाड़े पर कब्जे के बाद से हमें वहां जाने ही नहीं दिया गया.
यह भी पढ़ें-अयोध्या मामला: मुकदमा कानून से चलता है, वेद और स्कंद पुराणों के आधार पर नहीं- मुस्लिम पक्ष के वकील
इससे पहले अयोध्या मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वकील धवन की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका नोटिस जारी किया. धवन की शिकायत है कि चेन्नई के रहने वाले 88 साल के प्रोफेसर षणमुगम ने उन्हें भगवान के विरोध में पेश होने के लिए श्राप दिया. ऐसा करके उन्होंने न्याय के काम मे बाधा डाली है. कोर्ट इस अवमानना याचिका पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई करेगी. अयोध्या भूमि विवाद को लेकर मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन की दलील कल भी जारी रहेंगी.
यह भी पढ़ें-IPS बनकर रिक्शा चालक ने 3000 लड़कियों को प्यार के चंगुल में फंसाया
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी