अयोध्या मामला : PFI ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की क्यूरेटिव याचिका, खुली अदालत में सुनवाई की मांग
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने शुक्रवार को अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में पिछले साल 9 नवंबर को दिए गए फैसले पर विचार करने की मांग की है.
नई दिल्ली:
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने शुक्रवार को अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में पिछले साल 9 नवंबर को दिए गए फैसले पर विचार करने की मांग की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पीस पार्टी की ओर से दायर क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया था. अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पीस पार्टी के डॉ. अय्यूब ने 21 जनवरी को क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. डॉ. अय्यूब की अर्जी में कहा गया था कि राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने वाला 9 नवंबर को दिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था. फैसले में मुस्लिम पक्ष के सबूतों की अनदेखी की गई थी. मुख्य मामले मे पीस पार्टी पक्षकार नहीं थी, लेकिन इसकी ओर से पुनर्विचार अर्जी दायर की गई थी. इससे पहले पिछले साल 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पीस पार्टी समेत 19 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
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पीएम नरेंद्र मोदी कर सकते हैं शिलान्यास
पीएफआई की याचिका ऐसे समय दायर की गई है, जब राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार ने ट्रस्ट बना दी है. राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट तैयारियों में व्यस्त है. शिलान्यास की रूपरेखा तैयार की जा रही है. यह भी कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का शिलान्यास कर सकते हैं. यह भी कहा जा रहा है कि मंदिर निर्माण का कार्य शुरू करने से पहले रामलला विराजमान को नई जगह पर ले जाने की तैयारी है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सुरक्षा एजेंसियों की राय पर मानस मंदिर के बगल में अस्थाई मंदिर के निर्माण का काम शुरू करा दिया है.
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कहा जा रहा है कि 25 मार्च से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र में राम भक्तों को रामलला का दर्शन नए स्थान पर होंगे. ट्रस्ट के सूत्रों का कहना है 2 अप्रैल को रामनवमी नए स्थान पर ही मनाई जा सकती है. इसके लिए ट्रस्ट सारे कागजी काम पूरे कर चुका है. फाइबर के मंदिर का मॉडल भी तय कर लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाते हुए पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. साथ ही सर्वसम्मति से केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया था.
मस्जिद के अवशेष की मांग
दूसरी ओर, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी है. इसी बीच बाबरी एक्शन कमेटी (Babri Masjid Action Committee) जल्द ही विवादित ढांचे के अवशेष की मांग को लेकर कोर्ट में अपील करने की तैयारी की है. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाबरी मस्जिद के मलबे को मुस्लिमों को सौंपने की गुजारिश करेगी.
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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि कमेटी इस बारे में निर्णय ले चुकी है. अब बस ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी राय की जरूरत है. जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी से संपर्क करने की कोशिश की गई है. लेकिन उनकी तबियत अभी ठीक नहीं है, लिहाजा अभी तक बोर्ड की राय नहीं मिल पाई है.
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