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अयोध्या केसः बाबरी मस्जिद को गिराना हकीकत मिटाना था-मुस्लिम पक्ष

राजीव धवन ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने का मकसद हकीकत को मिटाना था. इसके बाद हिंदू पक्ष कोर्ट में दावा कर रहा हैं.

Updated on: 20 Sep 2019, 03:53 PM

highlights

  • बाबर के निर्देश पर उनके कमांडर मीर बाकी ने ही बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.
  • शिलालेखों पर हिंदू पक्ष आपत्ति जता रहा है, जो पूरी तरह से निराधार है.
  • मस्जिदों में संस्कृत के प्रयोग पर हिंदू कारीगरों को ठहराया जिम्मेदार.

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में शुक्रवार को सुनवाई का 28वां दिन था. हालांकि आज करीब एक घंटा ही सुनवाई हो सकी. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने गोपाल सिंह विशारद की ओर से दायर केस में 22 अगस्त 1950 को एडवोकेट कमिश्नर बशीर अहमद की ओर से पेश रिपोर्ट का हवाला दिया. धवन के मुताबिक इस रिपोर्ट में विवादित ढांचे पर मौजूद कई शिलालेख का जिक्र था. इन शिलालेखों के मुताबिक बाबर के निर्देश पर उनके कमांडर मीर बाकी ने ही बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था.

राजीव धवन ने आरोप लगाया कि इन शिलालेखों पर हिंदू पक्ष आपत्ति जता रहा है, लेकिन उनकी आपत्ति निराधार है. इन शिलालेखों का वर्णन बकायदा विदेशी यात्रियों के यात्रा संस्मरणों और गजेटियर जैसे सरकारी दस्तावेजों में है. धवन ने कहा कि अपनी दलीलों के समर्थन में इन्हीं यात्रा-संस्मरणों और शिलालेखों का हवाला देने वाला हिंदू पक्ष कैसे इन शिलालेखों को नकार सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन शिलालेखों के बीच विरोधभास को मानते हुए शिलालेखों को नकार दिया, जो सही नहीं है.

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जस्टिस बोबडे ने पूछा-मस्जिदों में संस्कृत कैसे

सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने राजीव धवन से दिलचस्प सवाल पूछा कि कई पुरानी मस्जिदों में संस्कृत में भी कुछ लिखा हुआ मिला है. वह कैसे संभव हुआ?
जवाब में राजीव धवन ने कहा कि ऐसा इसलिए संभव है कि इमारत बनाने वाले मजदूर कारीगर हिंदू होते थे. वे अपने तरीके से इमारत बनाते थे. बनाने का काम शुरू करने से पहले वह विश्वकर्मा और अन्य तरह की पूजा भी करते थे. काम पूरा होने के बाद यादगार के तौर पर कुछ लेख भी अंकित कर दिया करते थे.

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"वीएचपी ने बाबरी विध्वंस का बनाया माहौल"

राजीव धवन ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने का मकसद हकीकत को मिटाना था. इसके बाद हिंदू पक्ष कोर्ट में दावा कर रहा हैं. सोची-समझी चाल के तहत इसके लिए बाकायदा 1985 में रामजन्मभूमि न्यास का गठन किया गया. 1989 में जहां इसको लेकर मुकदमा दायर किया गया, वहीं विश्व हिंदू परिषद ने देश भर में हिंदुओं से शिला एकत्र करने का अभियान शुरू कर दिया. माहौल इस कदर खराब किया गया कि उसका नतीजा 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के तौर पर सामने आया. धवन ने यह भी कहा कि श्रीरामजन्मस्थान के नाम से याचिका दाखिल करने का मकसद मुस्लिम पक्ष को ज़मीन से पूरी तरह बाहर करना था.

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अगली सुनवाई सोमवार को

अगली सुनवाई सोमवार को होगी. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को शाम 5 बजे तक सुनवाई करेगा. वैसे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शाम 4 बजे तक होती है. चूंकि सोमवार को चार नए जजों की भी शपथ लेनी है. इसलिए उस दिन सुनवाई देर से शुरू होगी. इसके पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर तक जिरह पूरी करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि अयोध्या मामले में फैसला नवंबर में आ सकता है.