अयोध्या सुनवाई मामला 33वां दिन : कोर्ट का समय खराब करने पर CJI हुए नाराज
पुरातत्व फिजिक्स, केमिस्ट्री कोई विज्ञान नहीं है, किसी खोज पर पुरातत्वविदों की राय अलग अलग हो सकती है.
highlights
- लगातार 33वें दिनअयोध्या केस में सुनवाई जारी
- CJI ने कोर्ट का समय खराब करने पर जताई नाराजगी
- मीनाक्षी अरोड़ा ने दिये कोर्ट के सवालों के जवाब
नई दिल्ली:
अयोध्या केस में आज सुनवाई के 33वां दिन संविधान पीठ ने संविधान शुरू की. मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ASI की रिपोर्ट पर अपनी दलीलें जारी रख रही हैं. कल ASI की रिपोर्ट को खारिज करने के लिए उन्होंने कई दलीलें दी थी, लेकिन कोर्ट उनकी ज़्यादातर दलीलों से आश्वस्त नज़र नही आया. मीनाक्षी अरोड़ा ने आज करीब एक घण्टे ASI रिपोर्ट को लेकर अपनी बात रखी और कहा-ASI की रिपोर्ट पुरातत्वविदों के अनुमान, उनकी धारणाओं पर आधारित हैं. ये बस उनकी राय भर है, पुरातत्व फिजिक्स, केमिस्ट्री कोई विज्ञान नहीं है, किसी खोज पर पुरातत्वविदों की राय अलग अलग हो सकती है. ये रिपोर्ट अपने आप में कोई ठोस सबूत नहीं है. इसके जरिये किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए अतिरिक्त सबूत चाहिए. इस रिपोर्ट में कोर्ट के इस सवाल का जवाब ही नहीं है, कि क्या वहां श्रीरामजन्म स्थान मन्दिर था या नहीं.
मीनाक्षी अरोड़ा ने आगे कहा कि ASI के सामने सवाल था कि क्या विवादित जगह पर श्रीरामजन्मस्थान का मंदिर था या नहीं. इस सवाल का जवाब इस रिपोर्ट में नहीं है. ASI की रिपोर्ट से किसी भी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता. उन्होंने आगे दलील दी कि हाई कोर्ट के पुराने फैसलों के मुताबिक कमिश्नर की रिपोर्ट का खंडन करने के लिए कमिश्नर से जिरह कराना जरूरी नहीं है. पक्षकार चाहे तो अपने ख़ुद के गवाहों के जरिये भी कमिश्नर की रिपोर्ट के विरोध में पक्ष रलह सकते है.
मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों पर कोर्ट के सवाल
जस्टिस एस ए बोबडे की टिप्पणी- इस मामले में घटनाओं को कोई गवाह नहीं है. हमें भी इस बात का पता है. सीधा सबूत कौन पक्ष इस मामले में दे सकता है. दोनों पक्ष अपने अनुमान के आधार पर जिरह कर रहे है. लिहाज़ा हमें इस को देखना है कि किसका पक्ष ज़्यादा विश्वसनीय है. जब मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ASI की रिपोर्ट को महज अनुमानों पर आधारित बता रही तो जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने उन्हें टोका- आप ASI की रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठा सकतीं. कमिश्नर की रिपोर्ट की किसी साधारण राय से तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कोर्ट की ओर से मिले अधिकार का इस्तेमाल कर खुदाई का काम किया था. जस्टिस चन्दचूड़ ने भी कहा- ASI रिपोर्ट में व्यक्त की गई राय, पढ़े-लिखे लोगों की एक्सपर्ट राय है. जस्टिस एस ए बोबड़े- क्या कोई पुरातत्व विभाग के कोई ऐसे एक्सपर्ट है, जिन्होंने ASI की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं.
मीनाक्षी अरोड़ा के जवाब- हां, कुछ लोगों ने ASI की रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति जाहिर की है. कुछ पुरातत्वविद के अपने अनुमान है, जबकि उनके ख़ुद के गवाहों की राय अलग है. यहां तक कि हमारे कुछ एक्सपर्ट की राय एकदम अलग है। लिहाजा कोर्ट को ASI की रिपोर्ट को भी सिर्फ एक राय की तरह ही लेना चाहिए. मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील दी कि 2003 ASI की रिपोर्ट का ये निष्कर्ष कि वहां विवादित ढांचे के नीचे विशालकाय ढांचा मिला है, अपने आप में वहां मन्दिर की मौजूदगी को साबित करने के लिए कोई ठोस निष्कर्ष नहीं है. इस नतीजे तक पहुंचने के लिए दूसरे ठोस सबूत भी होने चाहिए. ASI की रिपोर्ट मे जिस नक्काशी का जिक्र है, वो हिंदू जैन, बौद्ध और इस्लामिक इमारतों में तक इस्तेमाल होती है, फिर कैसे ये कहा जा सकता है कि वो इमारत मन्दिर ही थी.
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जस्टिस बोबडे ने दोहराया कि हमे ये देखना होगा कि किस पक्ष का अनुमान, निष्कर्ष ज़्यादा विश्वनीय है।क्योंकि कोई सीधा सबूत नहीं है. CJI ने शेखर नाफड़े से पूछा कि उनको जिरह पूरी करने में कितना समय लगेगा. नाफड़े ने कहा उनको जिरह पूरी करने के लिए दो घंटे का समय और लगेगा. CJI ने कहा कि पहले से तय शेड्यूल में बदलाव नही होगा. तब नाफड़े ने कहा कि वह 45 मिनट में अपनी जिरह पूरी कर लेंगे. चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा - सुनवाई तय शेड्यूल के हिसाब से नहीं चल रही है. दरअसल आज शेखर नाफड़े को अपनी दलील पूरी कर लेनी थी लेकिन मीनाक्षी अरोड़ा ने आज उनके हिस्से का भी समय ले लिया, अरोड़ा की दलील कल पूरी होनी थी.
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