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मदरसों को हाई स्कूल में बदलने की तैयारी में असम सरकार, जानें वजह

असम मंत्री एसबी शर्मा ने खुद इस बात की पुष्टी की है. उन्होंने कहा, हमने सभी संस्कृत स्कूलों और मदरसों को हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में बदलने का फैसला लिया है.

Updated on: 13 Feb 2020, 09:09 AM

नई दिल्ली:

असम के सभी मदरसों और संस्कृति स्कूलों को राज्य सरकार हाई स्कूल और सेंकेंडरी हाई स्कूल में बदलने की तैयारी में है. असम मंत्री एसबी शर्मा ने खुद इस बात की पुष्टी की है. उन्होंने कहा, हमने सभी संस्कृत स्कूलों और मदरसों को हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में बदलने का फैसला लिया है. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा, सरकार धार्मिक संस्थानों को फंड नहीं कर पा रही है, इसी के चलते ये फैसला लेना पड़ा है. हालांकि, गैर सरकारी संगठनों/सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित मदरसे जारी रहेंगे, लेकिन एक नियामक ढांचे के भीतर.

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वहीं दूसरी तरफ खबर आई थी कि असम राज्य में मूल मुस्लिम आबादी की पहचान करने और उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों से अलग करने की कवायद के तहत एक सर्वेक्षण कराने की योजना बना रहा है हालांकि राष्ट्रीय नागरिक पंजी की सटीकता को लेकर संदेहों का निवारण अभी नहीं हो सका है. योजना के तहत यह सर्वेक्षण चार समुदाय के लोगों की पहचान करने के लिए है. यह चार सुमदाय हैं गोरिया, मोरिया,देसी और जोलाह. इन्हें राज्य का मूल निवासी माना जाता है. असम के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रंजीत दत्ता ने चार समुदायों के विभिन्न संगठनों तथा अन्य पक्षकारों की मंगलवार को एक बैठक बुलाई है. जिसमें इस योजना के अंतिम रूप दिया जाएगा.

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असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के अध्यक्ष मूमिनुल ओवाल ने बातचीत में कहा,' असम में कुल 1.3 करोड़ मुस्लिम आबादी है जिनमें से करीब 90 लाख बांग्लादेशी मूल के हैं. शेष 40 लाख विभिन्न जनजातियों से हैं और उनकी पहचान करना जरूरी है.' उन्होंने कहा कि बिना सही पहचान के मूल मुस्लिम आबादी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं रहा है.