अमित शाह को 'तानाशाह' बनने से बचा लीजिए, ओवेसी के फिर बिगड़े बोल
ओवेसी स्पीकर ओम बिरला से यहां तक कह गए कि गृह मंत्री अमित शाह को आप 'तानाशाह' की कतार में खड़ा होने से बचा लीजिए. इस बयान को आपत्तिजनक मानते हुए स्पीकर ने इसे संसदीय कार्रवाई में शामिल करने से इंकार कर दिया.
highlights
- नागरिकता संशोधन विधेयक पर असदुद्दीन ओवेसी के बिगड़े बोल.
- भारी हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह को 'तानाशाह' बताया.
- स्पीकर ने आपत्तिजनक बयान मानते हुए कार्रवाई से हटाया.
New Delhi:
सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिक संशोधन विधेयक पेश किया. जैसे कयास लगाए जा रहे थे. सरकार इस पर अड़ी है, तो कांग्रेस समेत समग्र विपक्ष विरोध में एकजूट है. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से लेकर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवेसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला. हालांकि इस फेर में ओवेसी स्पीकर ओम बिरला से यहां तक कह गए कि गृह मंत्री अमित शाह को आप 'तानाशाह' की कतार में खड़ा होने से बचा लीजिए. इस बयान को आपत्तिजनक मानते हुए स्पीकर ने इसे संसदीय कार्रवाई में शामिल करने से इंकार कर दिया.
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'देश को ऐसे कानून की जरूरत ही नहीं'
गृह मंत्री अमित शाह के सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करते ही कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सरकार पर संविधान और मुस्लिम विरोधी होने का आरोप मढ़ते हुए बड़ा हमला बोला. हालांकि अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि वह विपक्ष की प्रत्येक आपत्ति और आरोप का जबाव देंगे. इसके बाद असदुद्दीन ओवेसी ने कहा कि देश को ऐसे किसी कानून की जरूरत है ही नहीं. इसके बाद ओवेसी ने इजरायल के नस्लीय कानून का हवाला देते हुए गृह मंत्री को 'तानाशाह' करार दे दिया. उन्होंने स्पीकर से कहा कि गृह मंत्री को 'तानाशाह' की कतार में खड़ा होने से बचा लीजिए. इसके बाद सत्तारूढ़ पक्ष का विरोध देख स्पीकर ने इस वक्तव्य को संसदीय कार्रवाई में शामिल करने से मना कर दिया.
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बीजेपी का एजेंडा है पुराना, तो कांग्रेस भी आर-पार के मूड में
गौरतलब है कि भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश कर वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी. यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था. इसीलिए बीजेपी इस मसले पर धारा 370 की ही तरह आर-पार के मूड में है. इस बिल को पेश करने से पहले रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों के लिए सोमवार से बुधवार तक का तीन लाइन व्हिप जारी किया. पार्टी की ओर से जारी किए गए एक पत्र में कहा गया है कि सभी भाजपा सदस्य सोमवार से बुधवार तक लोकसभा में मौजूद रहेंगे. वहीं कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरूप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसके विरोध की ताल ठोक दी है. पार्टी रणनीतिकारों के साथ हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरी ताकत से संसद में इस बिल का विरोध करने की नीति पर मुहर लगा सियासी संग्राम का एक औऱ बिगुल फूंक दिया है.
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राज्यसभा में फंसेगी गणित, मित्र दल बनेंगे खेवनहार
लोकसभा में 303 सांसदों के साथ बहुमत रखने वाली बीजेपी के लिए निचले सदन में बिल को पारित कराना आसान है. हालांकि राज्यसभा में इसे बिल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे फ्लोर मैनेजमेंट रूपी गणित साधनी होगी. सरकार की अहम सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने बिल की सराहना करते हुए इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने की मांग की. इसके अलावा जेडीयू का भी रुख साफ नहीं है. हाल ही में बीजेपी को छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में सरकार के लिए इस बिल को राज्यसभा से पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. हालांकि घटक और बीजेडी जैसे मित्र दलों के समर्थन के बूते एनडीए सरकार ने बिल को पारित कराने की तैयारी कर ली है.
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