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हमेशा गंभीर रहने वाले अरुण जेटली के भीतर था एक शायर, करते थे गजब के शेर-ओ-शायरी

बहुत ही कम लोग जानते हैं कि बेहद ही गंभीर स्वाभाव के जेटली को शेरो-शायरी का बहुत शौक था. उनका ये अंदाज वित मंत्री काल में देखने को मिला जब वो बजट पेश करते थे तो उन्होंने कई बार शायरियों के जरिए विपक्ष को अपने निशाने पर लिया.

Updated on: 24 Aug 2019, 01:04 PM

नई दिल्ली:

आज अरुण जेटली हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी यादें हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी. शनिवार को 66 वर्षीय अरुण जेटली ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. संगीता जेटली जैसा हम सफर और सोनाली और रोहन जैसे बच्चे अरुण जेटली की जिंदगी बेहद ही खूबसूरत रहीं. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि बेहद ही गंभीर स्वाभाव के जेटली को शेरो-शायरी का बहुत शौक था. उनका ये अंदाज वित मंत्री काल में देखने को मिला जब वो बजट पेश करते थे तो उन्होंने कई बार शायरियों के जरिए विपक्ष को अपने निशाने पर लिया. चलिए हम आपको बताते हैं कि किन शायरियों के जरिए अरुण जेटली चर्चा में रहे-

2015 में भी बजट पेश के दौरान जेटली ने संसद में एक शायरी सुनाई जिसने लोगों का ध्यान खींचा था. वो शायरी कुछ इस तरहा है-

कुछ तो फूल खिलाये हमने
और कुछ फूल खिलाने हैं
मुश्किल ये है बाग में
अब तक कांटें कई पुराने हैं.

जेटली की शायरी का दौर साल 2016 के बजट में भी सुनने को मिला. साल 2016 में बजट पेश करते समय जेटली ने पढ़ी थी ये शायरी-

कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें
लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें

साल 2017 के बजट पेश करने के दौरान अरुण जेटली ने ये शायरी पढ़ी थी-

इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप
जो बात नई है अपनाइए आप
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप

ये तीन शायरी तो एक बानगी भर है. लॉ की किताबों के साथ-साथ अरुण जेटली के बुक सेल्फ में ढेरों शायरी की किताबें रहा करती थी. एक बेहतरीन वकील होने के साथ-साथ अरुण जेटली राजनीतिक के महारथी भी रहें. उनके जीवन के कई ऐसे रंग है जिन्हें बयान करना मुमकिन नहीं है.