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जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची नेशनल कॉन्फ्रेंस

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने आर्टिकल 370 को हटाये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

Updated on: 10 Aug 2019, 01:54 PM

highlights

  • याचिका में राष्ट्रपति के आदेश को शून्य घोषित करने की मांग की गई
  • 5 अगस्‍त को राष्‍ट्रपति के आदेश से राज्‍य में हटा दिया गया था अनुच्‍छेद 370
  • नेशनल कांफ्रेंस से पहले एक और याचिका शकीर शबीर ने दाखिल की है

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ अब राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने आर्टिकल 370 को हटाये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी द्वारा दायर याचिका में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 से संबंधित राष्ट्रपति के आदेश को 'गैर-संवैधानिक, शून्य और निष्क्रिय' घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मांगा गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को 'असंवैधानिक' घोषित करने की भी मांग की है.

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गौरतलब है कि 5 अगस्त को संसद में एक बिल पेश किया गया जिसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन कर इसे 2 केंद्रीय शासित राज्यों में विभाजित किया गया. जम्म-कश्मीर को विधानसभा के साथ जबकि लद्दाख को गवर्नर के साथ केंद्र शासित राज्य घोषित किया गया. इससे पहले राष्ट्रपति ने अधिसूचना जारी कर आर्टिकल 370 में दिए गए विशेषाधिकारों को निरस्त कर दिया था.

सरकार की ओर से किए गए इन बदलावों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अबदुल्ला ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी थी जिसके बाद आज नेशनल कॉन्फ्रेंस के 2 नेता पुनर्गठन बिल और राष्ट्रपति की अधिसूचना को खारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.

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आपको बता दें कि यह पहली याचिका नहीं है इससे पहले भी 2 और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी है. इससे पहले कश्मीरी वकील शकीर शबीर ने रिट याचिका दायर की थी जिसमें राष्ट्रपति की ओर से 5 अगस्त को आर्टिकल 367 में किए संशोधन के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है जिसके चलते आर्टिकल 370 को निष्क्रिय किया गया.

शब्बीर ने अपनी दलील में कहा कि आर्टिकल 367 में एक संवैधानिक प्रावधान का उल्लेख है जिसके तहत सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश से आर्टिकल 370 को संशोधित नहीं किया जा सकता है. इसके लिए राज्य की विधानसभा से सहमति लेना आवश्यक है. एक ऐसा परिवर्तन जो राज्य के इतिहास और भूगोल पर इतना बड़ा प्रभाव डाल सकती है उसके तहत वहां के लोगों की इच्छा का सम्मान होना जरूरी है.