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सेना प्रमुख नरवणे बोले- आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, हमारे पास...

ल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के फैसले को ‘ऐतिहासिक कदम’ करार दिया है.

Updated on: 15 Jan 2020, 04:05 PM

दिल्ली:

थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के फैसले को ‘ऐतिहासिक कदम’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि इस कदम का पश्चिमी पड़ोसी (देश) और उसकी ओर से काम करने वालों की योजनाओं पर असर पड़ा है. जनरल नरवणे ने करियप्पा परेड मैदान में 72वें थल सेना दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद ‘कतई बर्दाश्त’ नहीं करने की सशस्त्र बलों की नीति है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को जवाब देने के लिए हमारे पास कई विकल्प हैं और हम उनका इस्तेमाल करने में नहीं हिचकिचाएंगे.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को केंद्र ने पिछले साल पांच अगस्त को रद्द कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया. थल सेना प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करना एक ऐतिहासिक कदम है. यह फैसला राष्ट्रीय मुख्यधारा के साथ जम्मू कश्मीर के एकीकरण में महत्वपूर्ण साबित होगा. इस फैसले ने हमारे पश्चिम पड़ोसी (देश) और उसके ओर से काम करने वालों की योजनाओं को बाधित कर दिया है.

सेना प्रमुख ने आगे कहा कि इसने न सिर्फ छद्म युद्ध को रोका है, बल्कि अन्य स्थितियों का भी मुकाबला किया है. चाहे यह एलओसी (नियंत्रण रेखा) हो या एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) हो, हमने सक्रियता और मजबूती से सुरक्षा सुनिश्चित की है. थल सेना प्रमुख ने कहा कि एलओसी पर हालात जम्मू कश्मीर की स्थिति से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, आज, हम उन्हें याद करते हैं जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है. यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.

पिछले हफ्ते के सियाचिन के अपने दौरे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह यह देख कर वह बहुत खुश हैं कि चौकी पर सभी रैंक के कर्मी के मन में विश्वास भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हिमस्खलन के चलते हमारे कुछ सैनिक शहीद हुए हैं. हम हमेशा ही उनके बलिदान को याद रखेंगे. सैन्य परेड में ‘धनुष’ और ‘के-वज्र’ तोप प्रणाली पहली बार प्रदर्शित की गई.