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आरिफ खान ने बताया, आखिर क्यों लागू हो रहा है नागरिकता संशोधन कानून

यह रजिस्टर उस समय असम में लागू किया जाना था. इस रजिस्टर को राष्ट्रीय लेवल पर लागू किया जायेगा यह फैसला 2003 में लागू किया गया

Updated on: 24 Dec 2019, 09:12 PM

नई दिल्‍ली:

केरल के राज्यपाल आरिफ खान ने बताया कि नेशनल रजिस्टर को इंट्रोड्यूस ही किया गया था साल 1985 में और मैं उस सरकार का हिस्सा रहा हूं. यह रजिस्टर उस समय असम में लागू किया जाना था. इस रजिस्टर को राष्ट्रीय लेवल पर लागू किया जायेगा यह फैसला 2003 में लागू किया गया था. इसके बाद इसमें क्लास 14 जोड़ा गया उसके बाद उसको मजबूत करने के लिए रूल 4 जोड़ा गया. मैंने ये नहीं कहा कि उन्होंने उसका समर्थन किया मैने ये कहा कि उन्होंने उसकी शुरुआत की थी. ये शुरुआत उन्होंने ही की थी और अब जो कानून बनाया गया है वो तो महात्मा गांधी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी ने जो उन लोगों के साथ वादा किया था जो विभाजन के समय पाकिस्तान में ही रुक गए थे और वहां प्रताड़ना का जीवन बिता रहे हैं.

इस सरकार ने केवल उस वादे को और जिसकी बुनियाद 1985 में रखी गई 2003 में रखी गई इन्होंने इसे कानूनी तौर पर मूर्त रूप दिया है. यूपीए के शासन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम को पत्र भी लिखा था कि पाकिस्तान से आए हुए हिन्दू इतनी खराब जिंदगी जी रहे हैं दरिद्रता में जी रहे हैं हमें तुरंत उनको नागरिकता देने के लिए कोई योजना तुरंत बनानी चाहिए.

हमने ये बताया कि अफगानिस्तान की सरकार ने कभी पर्जीक्यूट नहीं किया हामिद करजई या फिर गनी ने कभी पर्जीक्यूट नहीं किया, लेकिन वहां पर एक सरकार थी जिसे पाकिस्तान ने इंस्टॉल करवाई थी वो थी तालिबान की सरकार उसमें वहां के अल्पसंख्यकों यानि कि हिंदू और सिख ही नहीं बल्कि उनकी महिलाओं पर भी जुल्म हुआ इसीलिए उन शरणार्थियों के लिए भारत ही आगे आयेगा ना वो इंग्लैंड थोड़े ही चले जाएंगे.

इस बात पर गौर करने की बात है कि पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र के तौर पर बनाया गया. तो क्या पाकिस्तान में अब मुसलमानों को भी पर्जीक्यूट करेंगे. हम इस बात को भी मानते हैं कि हमारे यहां पाकिस्तान और बांग्लादेश से मुसलमान आए हैं. लेकिन वो पर्जीक्यूशन की वजह से नहीं आए बल्कि इकोनॉमी की वजह से आए हैं. ये वो लोग हैं जिनसे भारत सरकार ने डिवाइडेशन के समय 1947 में साफ शब्दों में वादा किया था. उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि इस राजनीतिक रेखा के खिंच जाने के बाद वो हमसे अलग नहीं हो गए हैं वो हमारे थे हमारे हैं और हमारे ही रहेंगे हम उनके हर सुख-दुख में शरीक होंगे.