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1984 सिख दंगा: कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से किया इंकार

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने आज 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में पोलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सहमति देने से मना कर दिया है।

Updated on: 23 May 2017, 12:07 AM

नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने आज 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सहमति देने से मना कर दिया है।

इस मामले में सीबीआई ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने तीन मौकों पर क्लीनचिट दी थी।

टाइटलर ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शिवाली शर्मा के समक्ष दायर हलफनामे में ये कहा था कि वे सीबीआई द्वारा मांग किया गया ये परीक्षण नहीं कराना चाहते है।

इस मामले में विवादित हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल की तबियत ठीक नहीं है। उन्होंने निजी पेशी के लिए कुछ वक्त की मांग की थी

कोर्ट ने वर्मा काउंसल को आगे की कार्रवाई के लिए दो जून का वक्त दिया है

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परीक्षण किये जाने को लेकर कोर्ट ने 9 मई को जगदीश टाइटलर और अभिषेक वर्मा को स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया था कि वे पोलीग्राफ टेस्ट कराना चाहते हैं या नहीं।

कोर्ट ने कहा था कि अगर सहमति के लिए कोई शर्त है तो जगदीश टाइटलर और अभिषेक वर्मा को निजी रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

ये दंगा मामला उत्तरी दिल्ली के पुलबंगश गुरुद्वारा का है जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद ही एक नवंबर 1984 को तीन लोगों की हत्या कर दी गयी थी 

सीबीआई ने टाइटलर के अलावा हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा पर भी यह परीक्षण करने की मांग की थी।

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इन आरोपों को ख़ारिज करते आ रहे टाइटलर को सीबीआई इस मामले में तीन बार क्लीन चिट दे चुकी है लेकिन कोर्ट ने इस मामले को अजेंसी को इस पर आगे जांच पड़ताल करने का निर्देश दिया था

पीड़ितों ने सीबीआई को चुनौती देते हुए प्रोटेस्ट याचिका दायर की थी

कोर्ट ने दिसंबर 2015 में सीबीआई को इस मामले की जांच-पड़ताल को लेकर निर्देश दिए थे

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दंगों में मारे गए बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह को लेकर एजेंसी ने फिर से इस मामले की जांच पड़ताल शुरू की थी। सीबीआई ने इस केस से जुड़ी तीन समापन रिपोर्ट को फाइल कर लिया है।

गौरतलब है कि फरवरी में दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर का लाई डिटेक्शन टेस्ट करने की सीबीआई की मांग पर उन्हें पेश होने का निर्देश दिया था।

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