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जब एयरफोर्स के लापता विमान AN-32 को ढूंढने पैदल निकल पड़ा था 'टार्जन', पढ़िए दिलचस्प कहानी

जब सभी हाईटेक तकनीक फेल हो गई तब 'टार्जन' ने AN-32 को ढूंढने की पेशकश की. वो 15 किलो चावल के साथ पैदल ही विमान की तलाश में निकल पड़े थे

Updated on: 18 Jun 2019, 01:21 PM

नई दिल्ली:

तीन जून को 13 लोगों के साथ लापता हुआ भारतीय वायुसेना का विमान का मलबा आखिरकार अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में मिला. हालांकि इसमें सावर लोगों की तलाश के लिए अभियान अभी भी जारी है. भारतीय वायुसेना के लिए लापता एन-32 विमान कितना खास था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इससे संबंधित जानकारी देने वाले को 5 लाख रुपए देने का ऐलान कर दिया था. लेकिन वो ये भी जानते थे कि उत्तारखंड के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में लापता विमान को ढूंढना आसान नहीं होगा.

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विमान का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना ने एमआई-17 हेलीकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, एसयू-30 एमकेआई, सी130 और आर्मी यूएवी को सेवा में लगाया गया था लेकिन एयरक्राफ्ट को ढूंढने की सफलता अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर रहने वाले शिकारियों के हाथ ही लगी. हालांकि शिकारी भी  तभी इस विमान को ढूंढ पाए जब 'टार्जन' ने इसे ढूंढने की पेशकश की. 'टार्जन' की वजह से ही ये पूरा तलाश अभियान शुरू हुआ और  वायुसेना ने  शिकारियों की मदद से इस विमान को ढूंढने में कामयाबी हासिल की.

कौन है 'टार्जन' जिसके सामने फेल हो गई हाई टेक तकनीक

एयरफोर्स के विमान AN-32 को लापता हुए कुछ दिन बीत चुके थे. हाईटेक तकनीक और सेना की पुरजोर कोशिश के बावजूद विमान का कुछ पता नहीं चल रहा था, ऐसे में एयरफोर्स को उम्मीद तब नजर आई जब 'टार्जन' ने विमान को ढूंढने की पेशकश की. टाइम्सऑफ इंडिया के मुताबिक कायिंग गांव का निवासी टार्जन का असील नाम टी यूबी है , लेकिन स्थानीय लोग उसे टार्जन कह कर बुलाते हैं. टी यूबी के बारे में कहा जाता है कि जब वो 40 की उम्र के आसपास थे तब उन्होंने परंपरागत तरीके से मछली पकड़ना और शिकार करना शुरू किया था. वे बयोर पर्वत के कोने-कोने से वाकिफ थे, यही वजह थी कि लोग उन्हें टार्जन कहते थे. टी यूबी अदि समुदाय से ताल्लुख रखते हैं. इस समुदाय के लोग अरुणाचल प्रदेश के 6 पहाड़ी इलाकों में रहते हैं.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सियांग जिले के कायिंग सर्कल के अतिरिक्त सहायक आयुक्त पुमेक रोन्यो का कहना था कि यूबी को 15 किलो चावल और दूसरे जरूरी सामान के साथ विमान की तलाश में भेज दिया गया. यूबी पैदल ही विमान की तलाश में निकले थे. वहीं टार्जन के बैकअप के लिए विमान की तलाश में स्थानीय शिकारियों, पुलिस और आर्मी को मिलाकर दो टीमें भेजी गईं जिन्हें 7 जून को सफलता मिली और ये पता चला कि वो दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हालांकि यूबी के बारे में कुछ पता नहीं चला. 

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वायुसेना के लिए क्यों खास है AN-32 विमान

AN-32 विमान को सेना के लिए भरोसेमंद माना जाता है. फिलहाल दुनियाभर में ऐसे करीब 250 विमान परिचालन में हैं. आम आदमी और सेना के मुताबिक इस विमान को डिजाइन किया गया है. इन विमानों में 2 इंजन होते हैं. इसके अलावा हर मौसम में उड़ाने भरने की क्षमता है. इस विमान का इस्तेमाल मैदानी, पहाड़ी और समुद्री इलाकों में किया जा सकता है. क्रू समेत करीब 50 लोग यानि करीब 7.5 टन वजन ले जाने की क्षमता के साथ 530 किलोमीटर प्रति घंटा की उड़ान भर सकता है. ईंधन भरने के बाद चार घंटे तक यह विमान उड़ान भरने की क्षमता रखता है.