AN-32 हादसा: मौसम की मार से अब भी जंगलों में फंसे जवानों को ढूंढने गए बचावकर्मी
अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने वाला ये विमान 3 जून को लापता हो गया था, जिसके बाद तलाश अभियान चलाने के करीब 9 दिन बाद इसका मलबा मिला
नई दिल्ली:
दुर्घटनाग्रस्त AN-32 विमान में सवार जवानों के शव ढूंढ लिए गए हैं लेकिन इन शवों की तलाश में गए बचावकर्मी अभी भी वापस नहीं लौट पाए हैं. जानकारी के मुताबिक बचावकर्मियों का ये दल पैदल ही जवानों की तलाश में निकल गया था. जानाकारी के मुताबिक इन बचावर्मियों के वापस लौटने में मुश्किल इसलिए भी हो रही है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश के जिस इलाके में विमान हादसे का शिकार हुआ था वहां मौसम आए दिन बिगड़ता रहता है. ऐसे में अब बचाव दल को वापस लाने के लिए मौसम सुधरने का इंतजार किया जा रहा है. जैसे ही मौसम सुधरेगा, बचाव दल को एयरलिफ्ट कर बाहर लाया जाएगा.
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बता दें अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने वाला ये विमान 3 जून को लापता हो गया था, जिसके बाद तलाश अभियान चलाने के करीब 9 दिन बाद इसका मलबा मिला, इस विमान में वायुसेना के 13 सदस्य मौजूद थे. विमान के मलबे के मिलने के बाद 12 सदस्यीय बचाव दल को विमान में मौजूद जवानों की तलाश में घटनासथल पर भेजा गया. इसके बाद 13 जवानों के शव 20जून को लिपो से 13 किलोमीटर दूर उत्तर समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर मिले.
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सेना के लिए बेहद खास है AN-32 विमान
AN-32 विमान को सेना के लिए भरोसेमंद माना जाता है. फिलहाल दुनियाभर में ऐसे करीब 250 विमान परिचालन में हैं. आम आदमी और सेना के मुताबिक इस विमान को डिजाइन किया गया है. इन विमानों में 2 इंजन होते हैं. इसके अलावा हर मौसम में उड़ाने भरने की क्षमता है. इस विमान का इस्तेमाल मैदानी, पहाड़ी और समुद्री इलाकों में किया जा सकता है. क्रू समेत करीब 50 लोग यानि करीब 7.5 टन वजन ले जाने की क्षमता के साथ 530 किलोमीटर प्रति घंटा की उड़ान भर सकता है. ईंधन भरने के बाद चार घंटे तक यह विमान उड़ान भरने की क्षमता रखता है.
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