एसपीजी कानून को कांग्रेस ने ही किया कमजोर, अमित शाह का एक और बड़ा हमला
गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने समय-समय पर एसपीजी कानून में बदलाव कर उसे 'कमजोर' बनाने का ही काम किया है.
highlights
- एसपीजी कानून में संशोधन का मकसद उसे और प्रभावी बनाना.
- पिछली सरकारों ने समय-समय पर बदलाव कर कमजोर किया कानून.
- गांधी परिवार के सदस्यों से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने पर हुआ हंगामा.
New Delhi:
विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के मसले पर संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे का साक्षी बनी लोकसभा में बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने एसपीजी अधिनियम 2019 (संशोधित) बिल पेश कर साफ कर दिया कि नए प्रावधानों का मकसद कानून को उसकी मूल भावना के अनुरूप बनाए रखना है. खासकर जब उसे पहली बार 1988 में लागू किया गया था. उसके लिहाज से एसपीजी कवर सिर्फ प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों को ही दिया जा सकता था. गौरतलब है कि मोदी सरकार ने हाल ही में गांधी परिवार के सदस्यों से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी.
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पिछली सरकारों ने कमजोर किया कानून
गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने समय-समय पर एसपीजी कानून में बदलाव कर उसे 'कमजोर' बनाने का ही काम किया है. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके तहत वर्तमान पीएम या उनके परिजनों के अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों को ही पांच सालों तक एसपीजी कवर मिल सकेगा. गौरतलब है कि बीते दिनों सोनिया और राहुल गांधी से एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने पर भारी हंगामा हुआ था. लोकसभा में इस मसले पर शुरुआती दिनों में कामकाज भी नहीं चला सका और मोदी 2.0 सरकार पर तीखे आरोप लगाए गए.
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विधेयक का मकसद एसपीजी को प्रभावी बनाना
बुधवार को लोकसभा में एसपीजी संशोधित बिल पेश करते हुए अमित शाह ने इस पर हो रही राजनीति को बेवजह बताते हुए कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद यह है कि एसपीजी और प्रभावी बने और उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो. गृह मंत्री ने कहा कि वह जो संशोधन लेकर आए हैं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को 5 साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी. इसके पहले एसपीजी कवर हटाए जाने को राजनीति करार देते हुए जमकर तीर चले थे. यहां तक कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इसके विरोध में वॉकआउट तक किया था.
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एसपीजी विधेयक में यह रहेगा खास
उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है. प्रस्तावित विधेयक में पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया है. सूत्रों के अनुसार, एसपीजी कानून के तहत पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के 5 साल बाद तक या फिर खतरे के आंकलन के आधार पर एसपीजी सुरक्षा देने के प्रावधान में परिवर्तन नहीं किया जाएगा.
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