ऑपरेशन ओसामा बिन लादेन में शामिल डॉग्स अब करेंगे दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा
नेवी सील ने बेल्जियम की प्रजाति बेल्जियन मेलिनॉयस के कुत्तों का इस्तेमाल 'ऑपरेशन नैप्च्यून स्पीयर' में किया था. इनकी खासियत को देखते हुए अब भारत में इनका प्रयोग सुरक्षा में किया जाएगा.
highlights
- लादेन के खिलाफ अमेरिकी नेवी सील के ऑपरेशन का हिस्सा थे बेल्जियन मेलिनॉयस.
- सीआईएसएफ इनका इस्तेमाल दिल्ली मेट्रो और दिल्ली एयरपोर्ट की सुरक्षा में करेगी.
- फिलहाल 200 डॉग बेंगलुरु के सीआईएसएफ डॉग सेंटर में ले रहे हैं प्रशिक्षण.
नई दिल्ली.:
अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को खोज कर मार गिराने वाले अमेरिकी नेवी सील दल के सदस्य रहे डॉग्स की ब्रीड अब दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में तैनात होगी. इस प्रजाति का 'खोज' नाम का डॉग केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों के साथ दिल्ली मेट्रो स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था को परखेगा. नेवी सील ने बेल्जियम की प्रजाति बेल्जियन मेलिनॉयस के कुत्तों का इस्तेमाल 'ऑपरेशन नैप्च्यून स्पीयर' में किया था. इनकी खासियत को देखते हुए अब भारत में इनका प्रयोग सुरक्षा में किया जाएगा.
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10 माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम
सीआईएसएफ ने 'खोज' को पिछले हफ्ते एक निजी डॉग ब्रीडर से हासिल किया है. फिलहाल 'खोज' बेंगुलुरु में सीआईएसएफ डॉग ट्रेनिंग सेंटर में 10 माह तक चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा है. 'खोज' के प्रशिक्षण और उसे हासिल करने पर सीआईएसएफ ने लगभग एक लाख रुपए खर्च किया है. इस लिहाज से 'खोज' सीआईएसएफ के डॉग स्कवॉयड का सबसे महंगा डॉग हो गया है. सीआईएसएफ के मुताबिक 'खोज' विस्फोटकों से लैस फिदायीन हमलावरों की पहचान करने में सक्षम है.
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अंग्रेजी के 'सर्च' शब्द से लिया गया 'खोज' नाम
'खोज' नाम वास्तव में अंग्रेजी शब्द 'सर्च' का ही हिंदी तर्जुमा है. 'खोज' को हासिल करने और फिर प्रशिक्षण पर आने वाला खर्च दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन वहन करेगा. पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार गिराने आए अमेरिकी नेवी सील के साथ डॉग का एक समूह भी था. लादेन के खिलाफ अभियान की सफलता के बाद ही बेल्जियन मेलिनॉयस प्रजाति को भी अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां मिली थीं.
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अन्य प्रजातियों से कहीं बेहतर है मेलिनॉयस
भारत में अब तक इस प्रजाति के कुत्तों का इस्तेमाल काजीरंगा नेशनल पार्क में हो रहा है. वहां इनकी मदद से वन्यजीव तस्करों पर लगाम कसी जा रही है. इसके अलावा 2011 से सीआईएसएफ इनका इस्तेमाल नक्सलियों के खिलाफ अपने अभियानों में करती आ रही है. इनकी बढ़ती मांग का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि बेल्जियन मेलिनॉयस प्रजाति के 200 कुत्तों को बेंगलुरु में प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रशिक्षण के लिए तीन महीने के डॉग को लाया जाता है. फिर उसे 40 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण के तहत मेलिनॉयस को धमाकों की आवाज से परिचित कराया जाता है. एक प्रशिक्षित डॉग बम और गोली के धमाके का फर्क समझ सकता है. फिर उन्हें ऊंचाई और धुएं से रूबरू कराया जाता है ताकि इनका डर उनके भीतर से खत्म किया जा सके. इसके बाद उन्हें हुक्म मानने का प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर सर्च ऑपरेशन का प्रशिक्षण मिलता है. नौ माह के प्रशिक्षण के बाद एक माह जंगल में ट्रेनिंग दी जाती है.
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मल्टी टास्कर होते हैं बेल्जियन मेलिनॉयस
बेंगलुरु के डॉग प्रशिक्षण केंद्र के इंचार्ज और सीआरपीएफ के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल मोसेस दिनाकरण के मुताबिक अन्य प्रजातियों की तुलना में बेल्जियन मेलिनॉयस प्रजाति के डॉग कहीं बेहतर साबित हो रहे हैं. इस प्रजाति के डॉग 25 से 30 किलोमीटर लगातार चल सकते हैं. इनके आक्रमण और दुश्मन को घायल करने की क्षमता भी दूसरी प्रजातियों से अलग है. इसलिए इन्हें मल्टी-टास्कर भी कहा जाता है. अब तक 250 से अधिक मामलों में डॉग स्कवॉयड ने हमलावरों, विस्फोटकों को पकड़ने में मदद की है. प्रशिक्षण के बाद 'खोज' को सीआईएसएफ के शास्त्री पार्क केनल में रखा जाएगा ताकि दिल्ली मेट्रो और जरूरत पड़ने पर दिल्ली एयरपोर्ट की सुरक्षा में उन्हें लगाया जा सके.
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