राफेल डील पर मचे बवाल के बीच नेगोशिएशन टीम के प्रमुख रहे एयर मार्शल SBP सिन्हा ने कही ये बात
राफेल डील (Rafale Deal) पर मोदी सरकार और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (air marshal sbp sinha) जो उस वक्त नेगोशियसन टीम के प्रमुख थे उनका बयान सामने आया है.
नई दिल्ली:
राफेल डील (Rafale Deal) पर मोदी सरकार और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (air marshal sbp sinha) जो उस वक्त नेगोशियसन टीम के प्रमुख थे ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सौदे में कभी दखलअंदाजी नहीं की. भारत की तरफ से नेगोशिएसन टीम के प्रमुख रहे एयर मार्शल ने कहा, 'मेरे लिए बहुत हैरानी की बात थी, जब एक लेख में आज मंत्रालय के अंदरूनी नोट को सच्चाई छिपाते हुए, रक्षा मंत्री की टिप्पणी को नहीं छापते हुए इस सौदे को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया गया.'
Air Marshal SBP Sinha: Note has nothing to do with Indian team's negotiation on Rafale procurement as this note wasn't initiated by Indian negotiating team. It has been initiated by SK Sharma, who was not part of Indian negotiation team. On whose behest he initiated this note? https://t.co/ufx5q2xGOK
— ANI (@ANI) February 8, 2019
एयर मार्शल ने आगे कहा कि भारतीय टीम द्वारा राफेल को लेकर की जा रही सौदेबाज़ी से उस नोट का कोई लेना-देना नहीं था. यह नोट भारतीय टीम ने शुरू नहीं किया था. इसकी शुरुआत एसके शर्मा ने की थी, जो भारतीय नेगोसिएशन टीम का हिस्सा नहीं थे. किसके कहने पर उन्होंने इस नोट की शुरुआत की थी.?
बता दें कि शुक्रवार को प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार में यह दावा किया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने राफेल सौदे के संदर्भ में रक्षामंत्री को एक पत्र लिखा था. पत्र में रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राफेल सौदे में समानांतर बातचीत से रक्षा मंत्रालय की नेगोशिएशन टीम की कोशिशों को धक्का लग सकता है.
एक चिट्ठी का हवाला देते हुए लेख में लिखा गया है कि रक्षा मंत्री को गए इस पत्र को मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी एसके शर्मा ने 24 नवंबर 2015 को जारी किया और इस पत्र को मंत्रालय में रक्षा सौदों के लिए जिम्मेदार डायरेक्टर जनरल एक्विजिशन की सहमति थी.
इसे भी पढ़ें: निर्मला सीतारमन का पलटवार- राहुल गांधी भारतीय वायुसेना को मजबूत नहीं होने देना चाहते
जिसे लेकर विपक्ष ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर वार किया. राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने डील में चोरी की है. राहुल ने एक अखबार में छपी रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि इस डील में सीधे-सीधे पीएम शामिल थे. राहुल गांधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ओलांद ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बोला था कि अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये का अनुबंध दिया जाए. अब रक्षा मंत्रालय कह रहा है कि प्रधानमंत्री ने समानांतर बात की और हमारी स्थिति कमजोर की. इस पर प्रधानमंत्री जवाब दें.
जिस पर आज रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राफेल डील को लेकर सभी झूठ का जवाब दे दिया गया है. पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी सदन में अपने बयान में साफ किया था राफेल मामले में कुछ भी गलत नहीं हुआ है. सीतारमण ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्रालय के नोट पर कहा था कि कोई चिंता की बात नहीं है. सीतारमण ने कहा, राहुल गांधी झूठे आरोप लगा रहे हैं.
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