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नेशनल कमीशन बिल पर नाराज एम्स के डॉक्टरों ने किया विरोध प्रदर्शन, जानिए क्या है वजह

इस बिल से नाखुश लगभग 5 हजार डॉक्टरों ने एम्स के बाहर सोमवार की सुबह से ही विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.

Updated on: 29 Jul 2019, 08:46 PM

highlights

  • सोमवार को पास हुआ नेशनल मेडिकल कमीशन बिल
  • साल 2017 में भी पेश हुआ था ये बिल
  • एम्स में डॉक्टरों ने किया इस बिल का विरोध

नई दिल्‍ली:

लोकसभा में सोमवार को नेशनल मेडिकल कमीशन बिल (National Medical Commission Bill) पास हो गया. इस विधेयक के तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) को खत्म करके उसके स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) का गठन किया जाएगा. वहीं इस बिल से एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने नाराजगी जताई है. इस बिल से नाखुश लगभग 5 हजार डॉक्टरों ने एम्स के बाहर सोमवार की सुबह से ही विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. इस बिल के पारित होने से नाराज डॉक्टरों का कहना है कि कोई छात्र एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है. इस बिल में कोई दूसरा विकल्प नहीं दिया गया है.

क्या है एग्जिट टेस्ट
मेडिकल कमीशन बिल लोकसभा में होने के बाद नाराज डॉक्टर इस बात को लेकर नाराज हैं कि अब एमबीबीएस (MBBS) पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा. अभी तक नेशनल एक्जिट टेस्ट (एनइटी) सिर्फ विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई करके आने वाले छात्र ही देते थे. इस बिल के पास हो जाने के बाद अब स्वदेश में पढ़ाई कर रहे डॉक्टरों को भी यह परीक्षा पास करनी अनिवार्य होगी.

मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया खत्म हो जाएगी
इस बिल के पास होने से पहले भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (MCI) की ज़िम्मेदारी थी. लेकिन अगर ये विधेयक पारित होता है तो मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया खत्म हो जाएगी और उसकी जगह लेगा नेशनल मेडिकल कमीशन. और इस बिल के पास होते ही देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से संबंधित सभी नीतियां बनाने की कमान इस कमीशन के हाथ में होगा.

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इस बिल के पीछे सरकार का ये है मकसद
वैसे ये बिल सबसे पहले दिसंबर 2017 में पेश किया गया था, जिसके बाद 2018 में भी केंद्र सरकार इस बिल को लेकर आई, लेकिन विपक्ष और देशभर के डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था. अब केंद्र सरकार दोबारा इस बिल को लेकर आई है. इस बिल को लाने के पीछे सरकार का मकसद है देश में मेडिकल एजुकेशन व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाना. देश में एक ऐसी चिकित्सा शिक्षा (medical education) की ऐसी प्रणाली बनाई जाए जो विश्व स्तर की हो.

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केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी. ये काउंसिल मेडिकल कमीशन को सुझाव देगी कि मेडिकल शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए. इस कानून के आते ही पूरे भारत के मेडिकल संस्थानों में दाख़िले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी. इस परीक्षा का नाम NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) रखा गया है.

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