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पश्चिम बंगाल के बाद अब दक्षिण भारत के इस राजनीतिक दल के खेवनहार बनेंगे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर साल 2014 में पहली बार चर्चा में आए जब उन्होंने पीएम मोदी के लिए डिजीटल प्लेटफॉर्म पर कैंपेन किया था.

Updated on: 02 Dec 2019, 05:47 PM

नई दिल्‍ली:

जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) मौजूदा समय पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के लिए चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद प्रशांत किशोर तमिलनाडु (Tamil Nadu) में द्रविड मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता एमके स्‍टालिन (MK Stalin) के लिए राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी रणनीति तैयार करेंगे. जनवरी 2020 से प्रशांत किशोर साल 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव (Tamil Nadu Assembly Election 2021) में डीएमके की जीत के काम करेंगे.

मीडिया में आईँ खबरों की माने तो पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ ममता बनर्जी के लिए चुनावी चक्रव्यूह गढ़ रहे प्रशांत किशोर की कंपनी 'आईपैक' अगले साल से तमिलनाडु में डीएमके सुप्रीमो एमके स्‍टालिन के पक्ष में काम करने जा रही है. प्रशांत किशोर और डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन के बीच इस डील पर बातचीत भी हो चुकी है. आपको बता दें कि तमिलनाडु में जयललिता (Jayalalithaa) और करुणानिधि (Karunandhi) के निधन के बाद साल 2021 में पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इस चुनाव में ऑल इंडिया द्रविड मुनेत्र कड़गम (AIDMK) और डीएमके की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है.

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कमल हासन और रजनीकांत की जोड़ी भी होगी मैदान में
इस बार तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में बॉलीवुड एक्टर कमल हासन (Kamal Haasan) और रजनीकांत (Rajnikanth) भी चुनाव मैदान में एताल ठोकते हुए दिखाई देंगे. एक तरफ जहां रजनीकांत ने तो अपनी अलग पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, तो वहीं कमल हासन की पार्टी एमएनएम भी पीछे नहीं दिखाई दे रही है और अगर इन दोनों को एक दूसरे की जरूरत पड़ी तो दोनों अभिनेता से बने नेता हाथ भी मिला सकते हैं. तमिलनाडु की इस कठिन सियासी जंग में डीएमके की ओर से प्रशांत किशोर के आने के बाद डीएमके का पलड़ा कुछ ज्यादा ही भारी दिखाई दे रहा है.

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एक साल पहले से ही करेंगे तैयारी
प्रशांत किशोर साल 2021 में तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में एक साल पहले से ही स्टालिन के लिए सियासी जमीन तैयार करना चाहते हैं. आपको बता दें कि तमिलनाडु में करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद स्टालिन अपने आपको सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में डीएमके ने 38 सीटें जीतीं थीं, लेकिन स्टालिन को विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं दिख रही है. यहां पर स्टालिन को कमल हासन और रजनीकांत की जोड़ी से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.

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साल 2014 में पीएम मोदी के लिए किया था काम
आपको बता दें कि मौजूदा समय राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक दलों के लिया सियासी रणनीति तैयार करने वाले प्रशांत किशोर साल 2014 में पहली बार चर्चा में आए जब उन्होंने पीएम मोदी के लिए डिजीटल प्लेटफॉर्म पर कैंपेन किया था. इसके बाद से प्रशांत किशोर देश में बड़े चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाने जाने लगे. बाद में प्रशांत किशोर के बीजेपी से संबंध अच्छे नहीं रहे.

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बिहार में महागठबंधन की जीत की लिखी थी पटकथा
लोकसभा चुनाव 2014 के बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन (Grand Alliance) के लिए चुनाव अभियान की कमान थामी और चुनाव परिणाम दुनिया के सामने था. प्रशांत किशोर को जेडीयू सुप्रीमो और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में शामिल कर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया. प्रशांत किशोर का चुनावी अभियान यहीं समाप्त नहीं हुआ आगे उन्होंने कई राज्यों के लिए चुनावी अभियान की कमान थाम रखी थी.

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आंध्र प्रदेश में जगनमोहन को दिलाई थी भारी जीत
राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान प्रशांत किशोर की कंपनी ने दलों और गठबंधनों की सीमाओं में बंधकर काम नहीं किया, उनकी टीम ने आंध्रप्रदेश में वाइएसआर कांग्रेस (YSR Congress) के लिए काम करते हुए एन.चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) जैसे सियासी धुरंधर को करारी शिकस्त देने की रणनीति रची. आंध्र प्रदेश में प्रशांत किशोर की रणनीतियों की बदौलत जगनमोहन रेड्डी (Jagmahan Reddy) मुख्यमंत्री बने. आपको बता दें कि मौजूदा समय प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल के उपचुनावों में तृणमूल की जीत हुई जिसे प्रशांत किशोर की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. पिछले साल प्रशांत किशोर ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति का जिम्मेदार और शिवसेना के एनडीए से अलग होने का कारण भी माना जा रहा है.