logo-image

'जन्नत' के दरवाजे पर्यटकों के लिए खुले, एडवाइजरी वापसी के बाद सैर-सपाटा शुरू

लगभग 67 दिन बाद एडवाइजरी जारी कर जन्नत के दरवाजे सैलानियों के लिए खोल दिए हैं. इसके साथ ही आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो, इसके लिए सभी प्रकार की सहायता देने का ऐलान भी किया गया है.

Updated on: 10 Oct 2019, 02:06 PM

highlights

  • लगभग 67 दिन बाद जन्नत के दरवाजे सैलानियों के लिए खोल दिए गए हैं.
  • संचार सेवाओं पर प्रतिबंध लागू होने से कई इलाकों में संचार सेवाएं बाधित हैं.
  • तीन अक्टूबर को स्कूल और नौ अक्टूबर को कॉलेज फिर से खोल दिए गए हैं.

श्रीनगर.:

केंद्र सरकार ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले एक बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर में पर्यटन पर जारी प्रतिबंध हटा लिए हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार ने भी लगभग 67 दिन बाद एडवाइजरी जारी कर जन्नत के दरवाजे सैलानियों के लिए खोल दिए हैं. इसके साथ ही आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो, इसके लिए सभी प्रकार की सहायता देने का ऐलान भी किया गया है. गौरतलब है कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 के रूप में विशेष दर्जा वापस लेने से पहले 2 अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर में तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे. खासकर पर्यटकों से राज्य छोड़कर जाने को कहा था.

यह भी पढ़ेंः सीजफायर उल्लंघन पर भारतीय सेना ने तबाह की तीन पाक पोस्ट, एक पाकिस्तानी जवान भी मारा गया

चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले बड़ा कदम
गौरतलब है कि कश्मीर मसले को लेकर पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए चीन कश्मीर के हालात पर नजर रखने की बात कह चुका है. ऐसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले इस कदम के जरिए मोदी सरकार साफ संदेश देना चाहती है कि जम्मू-कश्मीर न सिर्फ उसका अंदरूनी मसला है, बल्कि अनुच्छेद 370 उसकी बेहतरी के लिए ही हटाया गया है. साथ ही पाकिस्तान के तमाम दुष्प्रचार के बीच राज्य में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः भारत क्यों नहीं करता हांगकांग-तिब्बत की बात, चीन के कश्मीर वाले बयान पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी

राज्य के राज्यपाल ने दिए दिशा-निर्देश
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बीते सोमवार को घाटी में गृह विभाग की ओर से जारी ट्रैवल एडवाइजरी को हटाने का निर्देश दिया था. 2 अगस्त को राज्य प्रशासन ने एक सुरक्षा एडवाइजरी जारी कर घाटी में आतंकी खतरे के मद्देनजर अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को जितना जल्दी संभव हो सके, कश्मीर छोड़ने की सलाह दी थी. यह एडवाइजरी 5 अगस्त को आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने और जम्मू-कश्मीर का 2 केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन की घोषणा से ठीक पहले जारी की गई थी.

यह भी पढ़ेंः तेजस के बाद अब 150 ट्रेनों को निजी हाथों में देने की तैयारी, 50 स्टेशन भी होंगे प्राइवेट

स्कूल-कॉलेज खुलने के बावजूद छात्र अनुपस्थित
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को ही गवर्नर हाउस में हुई उच्च स्तरीय बैठक में घाटी में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के दौरान बताया गया कि पिछले 6 हफ्तों में घाटी के ज्यादातर इलाकों से पाबंदियां हटा ली गई हैं. इस बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से बुधवार को घाटी में कॉलेज खोलने के प्रयास नाकाम रहे क्योंकि छात्र कक्षाओं में नहीं पहुंचे. कश्मीर के मंडल आयुक्त बशीर खान ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि कश्मीर में तीन अक्टूबर को स्कूल और नौ अक्टूबर को कॉलेज फिर से खोल दिए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः क्‍यों सभी चोरों के नाम के आगे मोदी लगा है, सूरत कोर्ट में राहुल गांधी बोले- मैंने कुछ भी गलत नहीं बोला

कश्मीर के कई इलाकों में मोबाइल सेवा बाधित
हालांकि सुरक्षा कारणों से और संचार सेवाओं पर प्रतिबंध लागू होने से कई इलाकों में संचार सेवाएं बाधित हैं. होटल कारोबारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में आने वाले पर्यटकों को ही सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. अभी इसी वजह से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल-कॉलेज नहीं भेज रहे हैं. पूरी घाटी में लैंडलाइन टेलिफोन सेवाएं बहाल हो चुकी है. हालांकि कश्मीर के अधिकतर हिस्सों में मोबाइल टेलिफोन सेवाएं और इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से निलंबित हैं. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त को विशेष दर्जा वापस लिए जाने के फैसले को गुरुवार को 67 दिन हो गए हैं.