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अटल सरकार ने भी संसद पर हमले के बाद किया था पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक का फैसला

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार ने अपनी किताब में दावा किया है कि संसद पर हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की योजना बनाई थी.

Updated on: 02 Jul 2019, 07:53 AM

highlights

  • पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार की किताब 'ए प्राइम मिनिस्टर टू रिमेंबर' में खुलासा.
  • संसद भवन पर हमले के बाद पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर थी एयर स्ट्राइक की योजना.
  • हालांकि ऑपरेशन पराक्रम पर किताब में उठाए गए सवाल. जल्दबाजी में किया निर्णय बताया.

नई दिल्ली.:

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बालाकोट पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कई कांग्रेसी नेताओं ने दावे किए कि संप्रग सरकार के दौरान भी पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक की गई थी. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई और ना ही हो सकी. अब पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार ने अपनी किताब में दावा किया है कि संसद पर हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की योजना बनाई थी.

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'ए प्राइम मिनिस्टर टू रिमेंबर' में खुलासा
गौरतलब है कि पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार की किताब 'ए प्राइम मिनिस्टर टू रिमेंबर' का 28 जून को विमोचन हुआ है. इसमें उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों द्वारा संसद भवन पर हमले का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि तीनों सेना के चीफ तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा से आर्मी के ऑपरेशन रूम में मिले थे. इस मुलाकात के दौरान एलओसी के पार और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए हवाई हमले की योजना पर चर्चा हुई.

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सीमा पर फोर्स की तैनाती के साथ दिया जाना था अंजाम
किताब के मुताबिक उस चर्चा के बाद सीमा पर फोर्स तैनात करने का निर्णय किया गया और उसे नाम दिया गया 'ऑपरेशन पराक्रम'. गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों से रिजर्व फोर्स को दस महीने तक सीमा पर तैनात रखा गया था. हालांकि इस निर्णय से पहले प्रधानमंत्री के सात लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर तीनों सेना के चीफ ब्रेकफास्ट मीटिंग के लिए मिले थे. इसके बावजूद सीमा पर फोर्स की तैनाती के अलावा कोई और आदेश उन्हें नहीं दिया गया. सीमा पर सेना की तैनाती के दौरान 798 सैनिक मारे गए. एक प्रकार से 'ऑपरेशन पराक्रम' एक आपदा की तरह था.

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सामने आई थीं तमाम चूकें
एक जगह एडमिरल सुशील कुमार ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि उस बैठक में यह स्पष्ट हो गया कि वाजपेयी तीनों सशस्त्र बलों के सीमा पर जमावड़े को अपनी ठोस रणनीति के तौर पर देख रहे थे. चूंकि यह एक जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था. इसलिए हो सकता है कि प्रधानमंत्री को बाद में पता चला हो कि उस फैसले का कितना गंभीर प्रभाव सशस्त्र बलों पर पड़ा है. इसने सशस्त्र बलों की तैनाती, नेतृत्व से जुड़ी तमाम कमियों को उजागर किया. लड़ाकू संसाधनों की ऊर्जा का अपव्यय हुआ. बिना किसी उद्देश्य के यह ऑपरेशन चलाया गया था.