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सज्‍जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्‍यता छोड़ी, हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही स्‍थगित

एक दिन पहले ही दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सज्‍जन कुमार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

Updated on: 18 Dec 2018, 12:20 PM

नई दिल्ली:

1984 के सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराए गए सज्‍जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया है. एक दिन पहले ही दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सज्‍जन कुमार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मंगलवार को संसद में भी यह मामला गूंजा. बीजेपी सदस्‍यों ने सज्‍जन कुमार का मामला उठाते हुए संसद में हंगामा किया. इससे लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक तो राज्‍यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्‍थगित कर दी गई.

एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ कृत्य करने का दोषी ठहराया. हाई कोर्ट ने कहा कि कुमार को ताउम्र जेल में रहना होगा. उनसे 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने को कहा गया और उससे पहले दिल्ली नहीं छोड़ने को भी कहा गया.

अदालत ने कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और कृष्ण खोखर की दोषसिद्धि भी बरकरार रखी. साथ ही कोर्ट ने अन्य दो आरोपियों की सज़ा तीन साल से बढ़ाकर दस साल कर दी है.

अदालत ने सज्जन कुमार पर पांच लाख रुपये का और अन्य सभी आरोपियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सीबीआई और दंगा पीड़ितों की याचिका पर हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने आदेश पढ़ते हुए कहा, '1947 की गर्मियों मे विभाजन के दौरान भयंकर नरसंहार हुआ था जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए. उस घटना के ठीक 37 साल बाद दिल्ली एक बार फिर से ऐसे ही नरसंहार का गवाह बना. आरोपी ने इस मामले में राजनीतिक संरक्षण का फ़ायदा उठाया और जांच से बच गए.'