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अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद पूरे देश में खुशी की लहर : नायडू

नायडू ने 21वें एसोचैम जेआरडी टाटा मेमोरियल व्याख्यान में कहा, पूरे देश ने इससे खुशी महसूस की क्योंकि ऐसा लोकतांत्रिक प्रणाली के माध्यम से किया गया था

Updated on: 11 Nov 2019, 11:08 PM

दिल्ली:

उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू (Venkaiah Naidu, Vice President of India) ने सोमवार को कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने से पूरा देश खुश है क्योंकि ऐसा लोकतांत्रिक प्रणाली के माध्यम से किया गया और इससे देश के लोगों की इच्छा और मनोदशा का पता चलता है. उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 को हल्का किया जाना भारत का आंतरिक मामला था और इस बात पर खेद जताया कि पश्चिमी मीडिया के कुछ वर्ग ने इसे लेकर गलत सूचना फैलाई.

नायडू ने 21वें एसोचैम जेआरडी टाटा मेमोरियल व्याख्यान में कहा, ‘‘पूरे देश ने इससे खुशी महसूस की क्योंकि ऐसा लोकतांत्रिक प्रणाली के माध्यम से किया गया था और मैं आपको बता सकता हूं कि यह भारत का आंतरिक मामला है. यह लोकतांत्रिक शासन का एक हिस्सा है... किसी को भी इस पर कोई शक जताने की जरूरत नहीं. हां, आपने कुछ समय तक किसी एक प्रणाली का उपयोग किया, और जब आप एक बदलाव करते हैं, तो कुछ समस्याएं होती हैं...’’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई व्यवस्था थी और ये महाराजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच उस समय हुई विलय संधि का हिस्सा नहीं था. 

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वहीं दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक तरफ दीक्षांत समारोह को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu, Vice President of India) संबोधित कर रहे थे, वहीं दूसरी तरह कैंपस के बाहर के छात्रों का फीस बढ़ोत्तरी को लेकर प्रदर्शन चालू था. JNU छात्र संघ फीस बढ़ोत्तरी के विरोध में मार्च निकाल रहे थे. पुलिस और जेएनयू प्रशासन के सामने पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई. उपराष्ट्रपति के कैंपस में मौजूद होने के दौरान छात्रों के प्रदर्शन ने विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने परेशानी खड़ी कर दी.

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इसके पहले 7 नवंबर को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत में सड़क हादसों और अन्य आपदाओं में मानव जीवन के बढ़ते नुकसान के मद्देनजर चिकित्सा शिक्षा स्नातक पाठ्यक्रम में आपात चिकित्सा और ‘ट्रॉमा केयर’ को भी शामिल करने की जरूरत पर बल दिया था. भारत में अभी आपात चिकित्सा और ट्रॉमा केयर को चिकित्सा शिक्षा परास्नातक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाता है. नायडू ने बृहस्पतिवार को आपात चिकित्सा (इमरजेंसी मेडीसिन) पर आयोजित एशियाई देशों के 10वें सम्मेलन (एसीईएम 2029) को संबोधित करते हुए कहा आपात चिकित्सा की जरूरत और महत्व को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. 

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत जैसे देशों मे जहां आधी से अधिक आबादी गांव में रहती है और हादसों में असमय मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही हो, वहां हर गांव में आपात चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षित कम से कम एक चिकित्सक का होना जरूरी है.’’ नायडू ने कहा, ‘‘ग्रामीण आबादी को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना राष्ट्रीय विकास का महत्वपूर्ण अंग है. यह भी समान रूप से महत्वपूर्ण है कि सभी गांव आपात चिकित्सा सेवाओं के नेटवर्क से जुड़े हुए हों. व्यवस्थित आपात चिकित्सा सेवाएं गंभीर स्थित में जीवन बचाने में बहुत उपयोगी होती हैं.’’