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CBI vs CBI: आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है. वहीं सीवीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे है.

Updated on: 06 Dec 2018, 04:19 PM

नई दिल्ली:

आलोक वर्मा की याचिका पर  सुनवाई शुरू हो गई है. वहीं सीवीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे है. बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने शीर्ष सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) अधिकारियों - निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच इसलिए दखल दिया कि वे बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे. केंद्र ने प्रमुख जांच एजेंसी की विश्वसनीयता और अखंडता को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप किया.

महाधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश के. एम. जोसेफ की पीठ से कहा, 'सरकार आश्चर्यचकित थी कि दो शीर्ष अधिकारी क्या कर रहे हैं. वे बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे.'

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से शक्तियां छीनने के फैसले का बचाव करते हुए वेणुगोपाल ने कहा, 'सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया है और अगर सरकार हस्तक्षेप नहीं करती तो भगवान जाने दो वरिष्ठ अधिकारियों की लड़ाई कैसे खत्म होती.'

महाधिवक्ता ने ये बातें पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस. नरीमन, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और राजीव धवन के आरोपों के जवाब में कहा, जिन्होंने 29 नवंबर को पिछली सुनवाई में वर्मा की शक्तियां छीनने के सरकार की कार्रवाई की कानूनी वैधता पर सवाल उठाया था.

अदालत ने तब कहा था कि वह सुनवाई इस पर सीमित करेगी कि क्या सरकार के पास बिना चयन समिति की सहमति के सीबीआई प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं. इस चयन समिति में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं. नरीमन वर्मा की तरफ से उपस्थित हुए थे.

calenderIcon 15:16 (IST)
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आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
कोर्ट ये तय करेगा कि क्या सरकार सीबीआई डायरेक्टर को उनके पद या ड्यूटी से हटाने का फैसला ले सकती है. कोर्ट को यह भी तय करना है कि क्या बिना चयन कमेटी की मंजूरी के सरकार अपनी ओर से ये फैसला ले सकती है.

calenderIcon 15:11 (IST)
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कपिल सिब्‍बल बोले, बिना पैनल की मंजूरी के वर्मा को हटाना तथ्‍योचित नहीं
सिब्बल ने कहा- सीबीआई डायरेक्टर के तबादले का सीधा अर्थ होता है कि सीबीआई निदेशक की मंशा पर आपको संदेह है. इसीलिए विधायिका ने कानून में प्रावधान किया है कि बिना Selection पैनल की मंजूरी के यह संभव नहीं हो सकता. कोर्ट फैसला सुरक्षित करने वाला था कि बस्सी की ओर से वकील राजीव धवन ने दलीलें रखने की इजाजत मांगी.
अभी जिरह चल रही है
कोर्ट ने धवन को कोर्ट ऑफिसर के तौर पर दलील रखने की इजाजत दे दी. यानी फैसला सुरक्षित होगा, लेकिन धवन की दलीलें सुनने का मौका कोर्ट ने उन्हें दे दिया है.

calenderIcon 14:51 (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्‍या सीबीआई डायरेक्‍टर को छुआ भी नहीं जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन कॉज के वकील दुष्यंत दवे से पूछा - क्या आपकी दलीलों का मतलब है कि सीबीआई डायरेक्टर को छुआ भी नहीं जा सकता? क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती? अगर ऐसा है तो क़ानून में स्पष्ट तौर पर इसका कोई उल्लेख क्यों नहीं है?

calenderIcon 14:47 (IST)
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दुष्‍यंत दवे ने उठाए सवाल, रात को 2 बजे वर्मा को हटाने की क्‍या जरूरत थी
आलोक वर्मा के खिलाफ पहली शिकायत 24 अगस्त को आई. दो महीने के इंतजार के बाद अचानक से सीवीसी ने उन्हें हटाने का फैसला ले लिया. जो कुछ आखों को नजर आ रहा है, उससे कहीं ज़्यादा इसके पीछे राज छुपा है. आखिर 2 बजे उन्हें हटाने की ज़रूरत क्यों थी?

calenderIcon 14:42 (IST)
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ऑल इंडिया सर्विस रूल सीबीआई डायरेक्टर पर लागू नहीं होता : दवे
दुष्‍यंत दवे बोले, ऑल इंडिया सर्विस रूल सीबीआई डायरेक्टर पर लागू नहीं होता. ये एक उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी की ओर से की गई नियुक्ति है. डायरेक्टर को दो साल से पहले नहीं हटाया जा सकता.

calenderIcon 14:39 (IST)
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दोहरे मानदंड नहीं अपना सकता CVC : दुष्‍यंत दवे
दुष्यंत दवे ने कहा, सीवीसी सीबीआई डायरेक्टर या स्पेशल डायरेक्टर दोनों के लिए दोहरे मापदंड नहीं अपना सकता. राकेश अस्थाना की नियुक्ति के वक्त उन पर उठने वाले तमाम सवालों को सीवीसी ने ये कहते हुए खारिज कर दिया कि उन पर आरोप साबित नहीं हुए हैं, अस्थाना की नियुक्ति नहीं रोकी जा सकती, दूसरी ओर वही सीवीसी आलोक वर्मा के खिलाफ आरोप साबित हुए बिना उन्हें छुट्टी पर भेजने का फैसला ले लेता है.

calenderIcon 14:34 (IST)
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दुष्यंत दवे : प्रीवेंशन ऑफ करप्शन के मामलो में ही CVC को निगरानी का अधिकार
दवे अपनी दलीलों के जरिये ये साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सीवीसी को सीबीआई की निगरानी का अधिकार सिर्फ प्रीवेंशन ऑफ करप्शन के मामलो में मिला है. सीवीसी का सेक्शन 8 सीवीसी को सीबीआई डायरेक्टर की निगरानी का अधिकार नहीं देता.

calenderIcon 14:22 (IST)
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वर्मा वैसे ही निदेशक हैं, जैसे मैं कहूं कि मैं सीबीआई निदेशक हूं : निदेशक
फली नरीमन ने कहा, आलोक वर्मा आज की तारिख में ऐसे सीबीआई डायरेक्टर हैं, जैसे मैं कहूँ कि मैं सीबीआई डायरेक्टर हूँ. (दरअसल सरकार की दलील है कि वर्मा आज भी सीबीआई डायरेक्टर हैं, नरीमन का कहना है कि बिना अधिकार के इस पोस्ट का कोई मतलब नहीं है)



फली नरीमन की जिरह पूरी, अब कॉमन कॉज की ओर से दुष्यंत दवे दलीलें रख रहे हैं

calenderIcon 14:18 (IST)
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फली नरीमन बोले, अस्‍थाना के खिलाफ FIR बनी वर्मा को हटाने की वजह
आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले के पीछे की असली वजह उनकी ओर से राकेश अस्थाना के खिलाफ FIR दर्ज़ कराना है.

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लंच के बाद सुनवाई फिर से शुरू 

calenderIcon 13:14 (IST)
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लंच ब्रेक 


2 बजे से फिर शुरू होगी सुनवाई 

calenderIcon 13:09 (IST)
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फली नरीमन ने कहा, जैसे Actiing CJI नहीं हो सकता, वैसे ही Acting CBI Director नहीं हो सकता
अब आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन दलीलें रख रहे हैं. नरीमन सरकार, सीवीसी की दलीलों का जवाब दे रहे हैं. फली नरीमन ने कहा, कानून में एक्टिंग सीबीआई डायरेक्टर का कोई प्रावधान ही नहीं. ठीक जैसे कभी Actiing CJI नहीं हो सकता, Acting CBI डायरेक्टर भी नहीं हो सकता. सीबीआई डायरेक्टर का पद ऐसा पड़ नहीं है कि visting card पर उसकी अहमियत हो. आप उन्हें छुट्टी पर भेजते हैं और फिर कहते है कि वो अभी CBI डायरेक्टर हैं.

calenderIcon 13:05 (IST)
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रोहतगी बोले, कुछ बातें वर्मा के खिलाफ 


मुकुल रोहतगी ने कहा, सीवीसी की रिपोर्ट में कुछ बातें आलोक वर्मा के खिलाफ हैं. 


इस पर चीफ जस्टिस बोले, ये बात तो हम पहले भी कह चुके हैं. 


मुकुल रोहतगी : तो उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए न, ऐसा हो नही रहा.


चीफ जस्टिस: मिस्टर रोहतगी, आप 'ऑफिसर ऑफ कोर्ट के नाते' अब दलील नहीं रख रहे हैं, ऐसा मत कीजिए.


 


रोहतगी बोले, कुछ बातें वर्मा के खिलाफ


मुकुल रोहतगी ने कहा, सीवीसी की रिपोर्ट में कुछ बातें आलोक वर्मा के खिलाफ हैं.


इस पर चीफ जस्टिस बोले, ये बात तो हम पहले भी कह चुके हैं.


मुकुल रोहतगी : तो उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए न, ऐसा हो नही रहा.


चीफ जस्टिस: मिस्टर रोहतगी, आप 'ऑफिसर ऑफ कोर्ट के नाते' अब दलील नहीं रख रहे हैं, ऐसा मत कीजिए.

calenderIcon 13:03 (IST)
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सरकार को है अनुशासनात्‍मक कार्रवाई का अधिकार : रोहतगी 
मुकल रोहतगी बोले, ये सही है कि सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति का अधिकार होने के चलते सरकार को सीबीआई में ज़रूरत पड़ने पर अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करने का अधिकार है.

calenderIcon 12:54 (IST)
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कोर्ट ऑफिसर के रूप में अपनी बात रख रहे हैं मुकुल रोहतगी
इस केस में राकेश अस्थाना की ओर से पूर्व AG मुकल रोहतगी ने कोर्ट से दलील रखने की इजाजत मांगी. उन्‍होंने कहा, राकेश अस्थाना की पैरवी के बजाय वो एक कोर्ट ऑफिसर के रूप में CVC के अधिकार क्षेत्र को लेकर अपनी बात रखना चाहते हैं. कोर्ट ने उन्‍हें मंजूरी दे दी.

calenderIcon 12:51 (IST)
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ASG ने कहा, पैनल की मंजूरी जरूरी, लेकिन ट्रांसफर केस में
ASG पीएस नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई (CBI) की ओर से पेश हुए. उन्‍होंने ऑल इंडिया सर्विसेज एक्ट का हवाला देते हुए कहा, सेक्शन 7 के मुताबिक कम से कम नियत कार्यकाल से पहले ट्रांसफर करने से पहले selection पैनल की मंजूरी ज़रूरी, लेकिन सिर्फ ट्रांसफर के केस में (यहां सरकार का तर्क है कि वर्मा का ट्रांसफर नहीं हुआ है).

calenderIcon 12:44 (IST)
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AG ने कहा, आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा जाना नहीं है ट्रांसफर
AG वेणुगोपाल ने अपनी संक्षिप्त दलीलों के जरिये ये साबित करने की कोशिश की कि आलोक वर्मा को छुट्टी ओर भेजा जाना, उनका ट्रांसफर नहीं है. उन्‍होंने कहा, अगर Selection पैनल के पास मामला जाता तो वहां भी इसे ट्रांसफर न मानते हुए इसमें दखल देने से इंकार करने की बात होती.

calenderIcon 12:34 (IST)
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कोर्ट ने की टिप्‍पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की, ये कोई पहली बार नहीं है जब सीबीआई के काम में सीवीसी दखल दे रही है.

calenderIcon 12:32 (IST)
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मेहता ने CVC की रिपोर्ट का दिया हवाला
तुषार मेहता ने अपनी दलीलों के समर्थन में संसद को सौंपी सीवीसी (CVC) की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमे CBI अफसरों के खिलाफ मिली शिकायतें और उसमें सीवीसी (CVC) की ओर से उठाए गए कदम की जानकारी थी.

calenderIcon 12:30 (IST)
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तुषार मेहता ने कहा, नोटिसों का जवाब नहीं दे रहे थे निदेशक 
CVC की ओर से सीबीआई डायरेक्टर को कई बार नोटिस जारी किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. 40 दिन गुजरने के बाद भी उनसे फाइल मांगी गई, लेकिन उन्‍होंने जमा नहीं की.

calenderIcon 12:26 (IST)
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तुषार मेहता ने कहा
आलोक वर्मा का ट्रांसफ़र पर नहीं हुआ. उनके पास अभी भी सरकारी आवास है और वो सरकारी सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं. यही राकेश अस्थाना के केस में भी है.

calenderIcon 12:22 (IST)
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आश्‍चर्यजनक हालात पैदा हो गए थे : तुषार मेहता
गम्भीर मामलों की जांच करने के बजाए सीबीआई के दोनों अधिकारी एक-दूसरे के खिलाफ FIR दर्ज़ कर रहे थे. एक दूसरे के यहां रेड डाली जा रही थी. बड़े आश्चर्यजनक हालात पैदा हो गए थे और ऐसी सूरत में कदम उठाना ज़रूरी था

calenderIcon 12:19 (IST)
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सीवीसी (CVC) की ओर से पेश तुषार मेहता का जवाब
तुषार मेहता ने कहा, CVC की राष्ट्रपति और संसद के प्रति जवाबदेही बनती है. सीवीसी को फैसला लेना था. अगर इसी मसले पर कोई कदम नहीं उठाया जाता और इसे लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल होती तो खुद कोर्ट सरकार से जवाब तलब करता.

calenderIcon 12:15 (IST)
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तुषार मेहता ने कहा, असाधारण हालात में लिया गया था फैसला
सीवीसी की ओर से पेश हो रहे तुषार मेहता ने कहा, हालात बहुत आसाधारण थे. इसलिए ये कदम उठाना पड़ा. आदेश बिना किसी भेदभाव के दोनों अधिकारियों के खिलाफ पास किया गया (दोनों को छुट्टी पर भेज गया). दोनों के ठिकानों पर रेड भी डाली गई.

calenderIcon 12:13 (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, तीन माह से चल रहा था विवाद, फिर मशविरा क्‍यों नहीं लिया गया
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, अगर हालात ऐसे बन भी गए थे कि संस्थान को बचाने के लिए दखल देना ज़रूरी था तो भी Selection पैनल से सलाह करने में दिक्कत क्या थी. सरकार का वो कदम उठाना चाहिए, जो सबसे उपयुक्त हो. सीबीआई के दोनों अधिकारियों के बीच टकराव तीन महीने से चल रहा था, फिर बिना चयन कमेटी से मशविरा के रातोंरात छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला क्यों लिया गया.

calenderIcon 11:51 (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, सरकार का कदम सही होना चाहिए. आखिर डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजने का फैसला लेने से पहले selection panel से राय लेने में क्या हर्ज़ है?

calenderIcon 11:50 (IST)
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CJI रंजन गोगोई ने कहा, सीबीआई डायरेक्टर के कार्यकाल को दो साल तय करने के पीछे मकसद इस पद को स्थायित्व देना था. आलोक वर्मा की दलील है कि उनको छुट्टी पर भेजने का फैसला विनीत नारायण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और ये फैसला उनके चयन करने वाले पैनल की मंजूरी से लिया जाना चाहिए था. 

calenderIcon 11:43 (IST)
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CBI विवाद में निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. 

calenderIcon 11:42 (IST)
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CJI ने सख्‍त टिप्‍पणी की


सीबीआई अफसरों के विवाद पर CJI ने सख्‍त टिप्‍पणी की है. उन्‍होंने केंद्र सरकार के वकील से पूछा, क्‍या अफसरों का झगड़ा रातों रात शुरू हुआ था. CJI ने पूछा, छुट्टी पर भेजने से पहले चयन समिति से परामर्श क्‍यों नहीं किया गया?