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जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ विधान परिषद में पेश किया गया जीएसटी प्रस्ताव

जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा बीजेपी की गठबंधन सरकार ने मंगलवार को विधानसभा तथा विधान परिषद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रस्ताव पेश किया।

Updated on: 04 Jul 2017, 08:40 PM

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा बीजेपी की गठबंधन सरकार ने मंगलवार को विधानसभा तथा विधान परिषद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रस्ताव पेश किया। राज्य के वित्तमंत्री हसीब द्राबू ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, जबकि लोक निर्माण मंत्री नईम अख्तर ने विधान परिषद में प्रस्ताव पेश किया।

प्रस्ताव पेश करते हुए द्राबू ने कहा, 'यह सदन संकल्प लेता है कि जम्मू-कश्मीर सरकार भारत संघ में राज्य की मौजूदा विशेष संवैधानिक स्थिति तथा राज्य के संविधान के तहत विधायी शक्तियों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तरीके से भारत के संविधान में प्रासंगिक संशोधन के साथ राज्य सरकार जीएसटी व्यववस्था को स्वीकार करने पर अपनी सहमति दे सकता है।'

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उपभोक्ता मामले तथा जन वितरण (सीएपीडी) व सूचना मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया।

प्रस्ताव की महत्ता के बारे में वित्तमंत्री ने कहा कि नई कर व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया है, जिसे अपने संविधान के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिलता है। उन्होंने कहा कि राज्य के हितों के संरक्षण के लिए नई कर व्यवस्था को अपनाना जम्मू-कश्मीर के हित में है।

सदन के समर्थन की मांग करते हुए द्राबू ने कहा, 'संविधानवाद के मुद्दे पर विधायकों द्वारा चर्चा की जानी चाहिए और इसका समाधान सदन में ही निकालना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'इसे हमारे लोकतंत्र की बुनियाद बनानी चाहिए।'

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द्राबू ने कहा, 'हम गंभीर हैं और हमारी कोई कुटिल योजना नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सारी बुद्धिमत्ता सरकार के पास ही है। सदन में कई विद्वान विधायक हैं, जो इस कानून पर अपना योगदान कर सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'हम सबके विचार सुनना चाहते हैं और इस सदन की सहमति लेंगे।'

वित्तमंत्री ने कहा कि विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर देश की सबसे सशक्त विधानसभा है। वहीं, नईम अख्तर ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, जिसका अनुमोदन सत्ताधारी पार्टी के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने किया।

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