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प्रार्थना सभा में बोले पीएम नरेंद्र मोदी, राजनीति में रहते हुए अटल जी ने अपनी विचारधारा से नहीं किया समझौता

भारत के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में आज (सोमवार) को दिल्ली में प्रार्थना सभा रखी गई है।

Updated on: 20 Aug 2018, 09:05 PM

नई दिल्ली:

भारत के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में आज (सोमवार) को दिल्ली में प्रार्थना सभा रखी गई है। इस मौक़े पर उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य, नतिनी निहारिका, संघ प्रमुख मोहन भागवत, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद लाल कृष्ण आडवाणी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती समेत कई दिग्गज नेता मौज़ूद थे।

गौरतलब है कि 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत हो गई थी। वाजपेयी को 11 जून को गुर्दा, यूरीन कम आना और श्वांस लेने की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था।   

बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रार्थना सभा में उन्हें याद करते हुए कहा कि मैने जीवन में अनेक सभाएं संबोधित की है लेकिन आज जैसी सभा कभी संबोधित करूंगा ये कल्पना कभी मेरे मन में नहीं थी (जब अटल जी मेरे साथ नहीं होंगे)। मेरी अटल जी से 65 साल की मित्रता रही है मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि इतने दिनों तक हम दोनों के बीच मित्रता कायम रही।

उन्होंने कहा, 'अटल जी भोजन बहुत अच्छा पकाते थे, वे चाहे खिचड़ी ही सही। मैंने अटल जी से बहुत कुछ पाया है, अटल जी की गैरमौजूदगी में बोलने पर मुझे बहुत दुख हो रहा।'

अपने साथ के अनुभवों को बताते हुए आडवाणी ने कहा कि हम साथ में सिनेमा देखते थे, हमने बहुत कुछ अटल जी से सीखा और पाया। इसीलिए दुख होता है कि वो हमें छोड़कर, हमसे अलग हो गए। अटल जी ने जो कुछ हमें सिखाया, जो कुछ दिया, उसे हम ग्रहण करें।

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वाजपेयी कभी दबाव में नहीं झुके: मोदी

इससे पहले प्रार्थन सभा में पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक ऐसी हस्ती करार दिया जो कभी दबाव में नहीं झुके और न ही विषम परिस्थितियों में कभी निराश हुए। प्रार्थना सभा में मोदी ने कहा कि यह वाजपेयी ही थे जिन्होंने परिस्थितियों को उस समय बदल दिया जब कुछ देश कश्मीर के मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा, 'वाजपेयी जी की वजह से आतंकवाद वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया।' मोदी ने 1996 में राजग की अल्पकालिक सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि जब वाजपेयी ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई तो कोई पार्टी उनका समर्थन करने को तैयार नहीं थी। प्रधानमंत्री ने कहा, 'सरकार गिर गई। उन्होंने (वाजपेयी) उम्मीद नहीं खोई और लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहे।'

उन्होंने कहा कि गठबंधन राजनीति के समय वाजपेयी ने मार्ग दिखाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वाजपेयी सरकार ने तीन राज्यों-झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन किया तो प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई और इस दौरान कोई कड़वाहट नहीं दिखी। मोदी ने मई 1998 के परमाणु परीक्षणों का जिक्र करते हुए कहा कि वाजपेयी के प्रयासों से भारत का परमाणु शक्ति बनना सुनिश्चित हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने परीक्षणों का श्रेय देश के वैज्ञानिकों को दिया। दो दिन बाद भारत ने फिर परीक्षण किए और दिखाया कि एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व क्या कर सकता है।

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मोदी ने कहा, 'वह (वाजपेयी) कभी भी दबाव में नहीं झुके। आखिरकार वह अटल थे।' उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी ने कभी भी अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने खुद को सांसद के रूप में प्रतिष्ठित किया और उन्हें संसदीय परंपराओं पर गर्व था।

वाजपेयी सबको साथ लेकर चले: आजाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने आज कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सबको साथ लेकर चलते थे और पहले सत्तारूढ़ दल एवं विपक्ष के बीच वह दूरी नहीं दिखाई देती थी जो आज दिखाई देती है। वाजपेयी की याद में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में आजाद ने कहा कि वाजपेयी ने सभी विचारधाराओं के नेताओं को साथ लाने का काम किया और यहां तक कि उनके निधन के बाद भी यह दिखा।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने पी वी नरसिंह राव की सरकार में अपने संसदीय कार्य मंत्री रहने के दौरान वाजपेयी से जुड़ी यादों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि वह उस वक्त के नेता प्रतिपक्ष वाजपेयी से अक्सर मिला करते थे। नरेंद्र मोदी सरकार और विपक्ष के बीच के मौजूदा समय के रिश्तों की ओर इशारा करते हुए आजाद ने कहा, 'आज जो दूरी हम देख रहे हैं वो उस वक्त नहीं था।'

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कांग्रेस नेता ने कहा कि जितना नजदीक से उन्होंने वाजपेयी को देखा, शायद बीजेपी के बहुत सारे नेताओं ने नहीं देखा होगा।