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अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल में नसीरुद्दीन का जबरदस्त विरोध, प्रदर्शनकारियों ने फूंका पुतला

प्रदर्शनकारियों ने अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल के लिए लगाए गए उनके होर्डिंग पोस्टर फाड़ दिए.

Updated on: 21 Dec 2018, 04:42 PM

अजमेर:

पांचवें अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल-2018 शुक्रवार को आगाज से पहले ही सुर्खियों में आ गया है. इस फेस्टिवल के उदघाटन के लिए आ रहे अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के एक बयान ने देशभर में फिर से एक नई बहस को जन्म दे दिया. जिसका भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल के बाहर उनका पुतला फूंककर जबरदस्त विरोध किया और नसीरुद्दीन को पाकिस्तान जाने की सलाह दी.

दरअसल, नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि वे अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं. उनका कहना था कि यदि कल को भीड़ उन्हें घेर लेती है और पूछती है, क्या तुम हिन्दू हो या मुसलमान? उनका कोई जवाब नहीं होगा, जहर तो समाज में ही फैल चुका है. कानून को अपने हाथों में ले जाने वालों के लिए पूरी सजा है. हमने पहले ही देखा है कि एक गाय की मौत आज के भारत में एक पुलिस अधिकारी की तुलना में अधिक महत्व है. कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कथित गोकशी के बाद हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा के दौरान किसी ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को गोली
मारकर हत्या कर दी थी. शाह द्वारा दिए गए बयान पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो रही है. कई राजनीतिक दलों ने शाह के बयान को देशविरोधी करार दिया है. कुछ उनके बयान को पाकिस्तान परस्ती से जोड़कर देख रहे हैं.

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प्रदर्शनकारियों ने अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल के लिए लगाए गए उनके होर्डिंग पोस्टर फाड़ दिए. इतना करने के बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नही हुआ और उन्होंने कार्यक्रम स्थल के स्टेज पर पहुंचकर नारेबाजी की और काले झंडे लहराए. मामला बढ़ते देख मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत करना चाहा, लेकिन कार्यकर्ता लगातार नारेबाजी करते रहे. वहीं बढ़ते विरोध को देखते हुए नसीरुद्दीन ने कार्यक्रम में आने का फैसला टाल दिया.

आपको बता दें कि 23 दिसम्बर तक चलने वाले इस साहित्योत्सव का उद्घाटन मशहूर फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह करने वाले थे. लेकिन विरोध के चलते वह नही आए. दी लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय साहित्यिक महाकुंभ में लेखक, विचारक, पत्रकार और बुद्धिजीवी साहित्य, सिनेमा, पत्रकारिता सहित कई मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगे.