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क्या करतारपुर कॉरिडोर के बहाने भारत पाकिस्तान संबंधों में भी बनेगा गलियारा

इमरान खान ने कहा कि भारत के साथ संबंधों में सुधार के मुद्दे पर उनकी सरकार, सेना और पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियां एकमत हैं.

Updated on: 29 Nov 2018, 08:49 AM

नई दिल्ली:

बुधवार को पाकिस्तान में सीमा के पास नारोवल जिले में एक तरफ इमरान ख़ान करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रख रहे थे वहीं दूसरी तरफ़ दोनों मुल्क़ों के लोगों के बीच यह उम्मीद जगने लगी कि इस गलियारे के रास्ते दोनों देशों के बीच संबंध भी बेहतर होंगे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के भाषण को सुनें तो एक उम्मीद जगती है. इमरान खान ने कहा कि भारत के साथ संबंधों में सुधार के मुद्दे पर उनकी सरकार, सेना और पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियां एकमत हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों के नेतृत्व की 'इच्छाशक्ति और सामर्थ्य' से कश्मीर सहित सभी मुददों का हल किया जा सकता है.

इमरान ने सीमा के दोनों ओर दो पवित्र गुरूद्वारों को जोड़ने के लिए एक ऐतिहासिक गलियारे का शिलान्यास किया. इस मौके पर उन्होंने परमाणु हथियारों से संपन्न दोनों पड़ोसी देशों के बीच बेहतर संबंधों की जोरदार वकालत की.

इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और भारत के केंद्रीय मंत्रियों हरसिमरत कौर बादल तथा हरदीप सिंह पुरी और क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हुए.

इमरान ने बाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान और भारत उन अवसरों को नहीं समझ सकते जो खुदा ने उन्हें दिया है. उन्होंने कहा कि जब कभी वह भारत गए तो उन्हें कहा गया कि राजनेता एकजुट हैं, लेकिन (पाकिस्तानी) सेना दोनों पक्षों के बीच मित्रता नहीं होने देगी.

उन्होंने कहा, 'मैं कह रहा हूं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ पार्टी, अन्य राजनीतिक पार्टियां और पाकिस्तान की सेना एकमत हैं...हम आगे बढ़ना चाहते हैं, हम एक शिष्ट संबंध चाहते हैं.'

इमरान ने कहा, 'दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं. हम दोनों के पास परमाणु हथियार हैं...ऐसे देशों के लिए (युद्ध के बारे में) सोचना मूर्खता होगी. कोई मूर्ख व्यक्ति ही सोच सकता है कि कोई परमाणु युद्ध जीत सकता है.'

भारत-पाकिस्तान के संबंधों में सुधार पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि नेतृत्व स्तर पर 'सामर्थ्य, इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने' की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'अगर कई युद्ध लड़ चुके फ्रांस और जर्मनी शांति के साथ रह सकते हैं तो भारत और पाकिस्तान क्यों नहीं रह सकते.'

इमरान ने कहा, 'हमारे सामने सिर्फ एक समस्या है, कश्मीर. अगर आदमी चंद्रमा पर चल सकता है तो कौन सी समस्याएं हैं, जिनका हम हल नहीं कर सकते? हमें सिर्फ दोनों ओर प्रतिबद्ध नेतृत्व चाहिए.' उन्होंने एक बार फिर कहा कि यदि मित्रता के लिए भारत एक कदम आगे बढ़ाएगा तो पाकिस्तान दो कदम बढ़ेगा.

इमरान ने कहा कि दोनों तरफ से गलतियां" हुई हैं लेकिन दोनों पक्षों को अतीत में नहीं रहना चाहिए.

यह बहुप्रतीक्षित गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा को जोड़ेगा. इस गलियारे से भारतीय सिख श्रद्धालु गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजा रहित यात्रा कर सकेंगे. माना जाता है कि करतारपुर में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अंतिम सांस ली थी.

करतारपुर साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर है. सिख गुरु ने 1522 में इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी.

इमरान ने सिख समुदाय को आश्वासन दिया कि अगले वर्ष गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती पर करतारपुर साहिब की सुविधाएं और बेहतर होंगी.

भारत ने करीब 20 साल पहले पाकिस्तान को इस गलियारे का प्रस्ताव दिया था.

इमरान ने दोनों देशों के बीच शांति के लिए सिद्धू के प्रयासों की सराहना की और कहा कि वह पाकिस्तान में इतना लोकप्रिय हो चुके हैं कि अगर वह यहां चुनाव लड़ते हैं तो वह जीत जाएंगे.

सिद्धू ने कहा कि काफी खून-खराबा हो चुका है और गलियारा क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए एक बड़ा अवसर होगा.

इस कार्यक्रम को हरसिमरत कौर ने भी संबोधित किया और कहा कि अगर बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत और पाकिस्तान के बीच घृणा और अविश्वास भी समाप्त हो सकता है. भावुक हरसिमरत कौर ने कहा कि इस गलियारे से दोनों देशों में खुशी और शांति आएगी.

पवित्र मौके पर इमरान खान का कश्मीर का उल्लेख करना खेदजनक: विदेश मंत्रालय

वहीं भारत ने करतारपुर गलियारे के आधारशिला कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा कश्मीर का उल्लेख किए जाने को लेकर आपत्ति ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान द्वारा इस तरह के शब्द का उपयोग करना 'बेहद खेदजनक' है और उन्होंने इस पवित्र अवसर को राजनीतिक रंग देने के लिये चुना. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का 'अभिन्न और अटूट' हिस्सा है.

मंत्रालय ने कहा, 'यह बेहद खेदजनक है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस पवित्र अवसर को राजनीतिक रंग देने के लिये चुना जो सिख समुदाय की करतारपुर गलियारा विकसित करने की लम्बे समय से की जा रही मांग को साकार करने से जुड़ा अवसर था.'

विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे अवसर पर अवांछित तौर पर कश्मीर का उल्लेख किया गया जो भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है. मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले क्षेत्र में सीमापार आतंकवाद को सभी तरह का समर्थन और आश्रय देना बंद करने के लिये प्रभावी और विश्वसनीय कार्रवाई करे और अपनी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही को पूरा करे.

इससे पहले दिन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हैदराबाद में कहा कि पाकिस्तान जब तक भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी. स्वराज का यह दो टूक बयान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करेगा.

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विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि करतारपुर गलियारे पर हुई पहल का पाकिस्तान के साथ वार्ता प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है. स्वराज ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'वह आमंत्रण पहले ही दिया जा चुका है लेकिन हम उसका सकारात्मक जवाब नहीं दे रहे हैं. क्योंकि जैसा कि मैंने कहा, जब तक पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियां बंद नहीं करेगा तब तक उससे कोई बातचीत नहीं होगी और हम दक्षेस में शामिल नहीं होंगे.'