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पश्चिम बंगाल में ममता सरकार और सीबीआई क्यों आमने-सामने? जानें पूरा मामला

पश्चिम बंगाल में सीबीआई के छापे पर बवाल मच गया है. शारदा चिट फंड मामले में कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार से जब सीबीआई पूछताछ करने गई तब घमासान मच गया है. ममता बनर्जी ने इसे असंवैधानिक बताया.

Updated on: 04 Feb 2019, 06:28 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सीबीआई के छापे पर बवाल मच गया है. शारदा चिट फंड मामले में कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार से जब सीबीआई पूछताछ करने गई तब घमासान मच गया है. ममता बनर्जी ने इसे असंवैधानिक बताया. आइए जानते हैं कि सीबीआई छापे पर इतना हंगामा क्यों मचा हुआ हैं. दरअसल 16 नवम्बर 2018 को ममता सरकार ने सीबीआई को राज्य में छापेमारी या जांच करने के लिए दी गई 'सामान्य रजामंदी' वापस ले ली थी.

इसका मतलब यह है कि ममता बनर्जी सरकार के मर्जी के बिना सीबीआई किसी के भी खिलाफ केस रजिस्टर नहीं कर सकीत है और ना ही किसी को गिरफ्तार कर सकती है. इतना ही नहीं जांच भी नहीं कर सकती है.

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आंध्र प्रदेश सरकार ने सीबीआई को लेकर ऐसा ही कदम उठाया है. वहां पर भी राज्य सरकार की इजाजत के बिना सीबीआई की एंट्री पर रोक लगा रखी है. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने भी सीबीआई को राज्य में दाखिल होने से पहले मंजूरी लेने वाला नियम तय किया है. इससे पहले नागालैंड, मिजोरम और सिक्किम की राज्य सरकारें भी ऐसा फैसला ले चुकी हैं.

बता दें कि सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के सेक्शन 6 के तहत काम करती है, जिसकी वजह से सीबीआई को किसी भी राज्य में जांच से पहले राज्य सरकार से इजाज़त लेनी पड़ती है. अगर सरकार इजाजत नहीं देती है तो सीबीआई दूसरा कदम उठा सकती है. सीबीआी दिल्ली में ही केस रजिस्टर्ड करके जांच शुरू कर सकती है. सीआरपीसी की धारा 166 के तहत कोई भी पुलिस अधिकारी लोकल कोर्ट से अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर सर्च करने की इजाज़त ले सकता है. पश्चिम बंगाल मामले में सीबीआई ने यह काम किया है कि नहीं यह अभी पता नहीं चल पाया है.