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असीमानंद के बरी किए जाने के फैसले पर महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल, 'भगवा आतंक' के प्रति दोहरापन क्यों?

पंचकुला में एनआईए की विशेष अदालत ने बुधवार को फरवरी 2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट के मामले में हिंदू नेता स्वामी असीमानंद समेत सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया.

Updated on: 20 Mar 2019, 08:22 PM

नई दिल्ली:

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में असीमानंद और अन्य 3 आरोपियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले पर महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि असीमानंद को बरी किया जाना दोहरेपन को दिखाता है.

मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, 'पूरी सबूत होने के बावजूद एक पूर्व आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) सदस्य सहित आरोपियों को बरी कर दिया गया. भगवान न करे, अगर वे कश्मीरी/मुसलमान होते, तो उन्हें बिना किसी निष्पक्ष सुनवाई के दोषी करार दिया जाता और जेल की सजा होती. भगवा आतंक के प्रति इस तरह का दोहरापन और इतनी ढिलाई क्यों?'

पंचकुला में एनआईए की विशेष अदालत ने बुधवार को फरवरी 2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट के मामले में हिंदू नेता स्वामी असीमानंद समेत सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया.

18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के पास ट्रेन में हुए इस बम विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे. इनमें 43 पाकिस्तानी, 10 भारतीय और 15 अज्ञात लोग थे. 10 पाकिस्तानियों समेत कई लोग घायल भी हुए थे.

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एनआईए की अदालत ने जनवरी 2014 में असीमानंद, कमल चौहान, राजिंदर चौधरी और लोकेश शर्मा के खिलाफ आरोप निर्धारित किए थे. यह सभी बुधवार को अदालत में मौजूद थे. इन सभी पर हत्या, देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक षडयंत्र के आरोप थे.