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Video: खराब एग्जाम रिजल्ट्स के बाद छात्र क्यों चुनते हैं मौत का रास्ता?

एग्जाम के रिजल्ट जारी होने के साथ ही सुसाइड के मामले सामने आने लगे हैं। हालिए आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं।

Updated on: 18 May 2017, 01:41 PM

नई दिल्ली:

एग्जाम के रिजल्ट जारी होने के साथ ही सुसाइड के मामले सामने आने लगे हैं। हालिए आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। लेकिन युवाओं में डिप्रेशन और सुसाइड के ऐसे मामलों को रोका जा सकता है बशर्ते वक्त रहते लक्ष्णों की पहचान कर ली जाए।

मध्य प्रदेश में इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल होने के बाद 12 छात्रों ने आत्महत्या कर ली। अगर नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2011 से लेकर 2015 के बीच तकरीबन 40 हजार छात्रों ने खुदकुशी कर ली। जिसमें 2015 में अकेले 8 हजार 984 छात्र शामिल हैं।

परीक्षा में नाकाम रहने के बाद मौत का रास्ता चुनना एक खतरनाक ट्रेंड है जो साल दर साल बढ़ता जा रहा है। जानकारों की मानें तो परिवार की उम्मीदें और भविष्य की चुनौतियों के बोझ के तले दबे बच्चे उम्दा रिजल्ट ना मिलने से टूट जाते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ श्वेतांक बंसल ने बताया, 'पिता, शिक्षक, दोस्त और खुद की उम्मीद के कारण दवाब होता है जिस पर खड़ा नहीं उतरना बच्चों को गलत रास्ता चुनने पर मजबूर करता है।'

टूटते संयुक्त परिवार, माता-पिता का कामकाजी होना, बच्चों की छोटी-मोटी समस्याओं पर ध्यान नहीं देना और टीवी और इंटरनेट तक आसान पहुंच बच्चों में डिप्रेशन बढ़ाता है।

विकसित देशों में मानसिक स्वास्थ्य और सुसाइडल टेंडेंसी जैसे संवेदनशील मसलों को सुलझाने के लिए हेल्पलाइन और इमरजेंसी सेवाएं जैसे तमाम उपाय हैं लेकिन हिन्दुस्तान फिलहाल इस मामले में विकसित देशों से पीछे है। ऐसे में जरुरत है बच्चों की सही काउंसलिंग और दिशा निर्देश देने की ताकि नौनिहाल मौत नहीं जिंदगी का रास्ता चुनें।

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