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पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि के ख़िलाफ जब बैलगाड़ी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे अटल बिहारी वाजपेयी

12 नवंबर 1973 को जन संघ (जो बाद में बीजेपी बनी) के नेता अटल बिहारी वाजपेयी, दो अन्य सदस्यों के साथ बैलगाड़ी से संसद पहुंच गए।

Updated on: 17 Aug 2018, 09:16 AM

नई दिल्ली:

पेट्रोल, डीजल के दाम में हो रही लगातार वृद्धि को लेकर पिछले काफी समय से कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं लेकिन कई बार उनका विरोध ख़बरों में रहने के बावजूद लोगों के स्मृतियों में ज़्यादा दिन तक नहीं रह पाता है। विपक्षी दल चाहे तो दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के एक क़िस्से से विरोध करने का मनोरंजक तरीका सीख सकते हैं। साल 1973 में जब देश में इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान पेट्रोल और डीजल के दामों में 80 फीसदी की वृद्धि हो गई थी। देश की मौजूदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लोगों के मंहगाई से बचने के लिए बग्घी(घोड़ा गाड़ी) का प्रयोग करने की नसीहत दे रही थी।

अटल बिहारी वाजपेयी और बाकी के विपक्षी दल इंदिरा गांधी के बग्घी(घोड़ा गाड़ी) यात्रा के विरोध करने का एक नायाब तरीका ढूंढ़ा। 12 नवंबर 1973 को जन संघ (जो बाद में बीजेपी बनी) के नेता अटल बिहारी वाजपेयी, दो अन्य सदस्यों के साथ बैलगाड़ी से संसद पहुंच गए। उनके अलावा कई अन्य सांसद भी साइकिल पर सवार होकर संसद पहुंचे। बताया जाता है कि इस दिन संसद में छह सप्ताह तक चलने वाले शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई थी। 12 नंवबर, 1973 को न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संसद में विरोधी दलों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।

अटल के नाम में 'बिहारी' जुड़ने का क़िस्सा भी है रोचक

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म साधारण परिवार में हुआ था और पढ़ाई भी साधारण से प्राइमरी स्कूल में हुई और पिता भी साधारण से प्राइमरी स्कूल के टीचर थे। उनके पिता का नाम कृष्ण विहारी वाजपेयी और दादा थे पंडित श्याम लाल वाजपेयी। उन्होंने सारे देश के सामने एक बार कहा था- 'मैं अटल तो हूं पर 'बिहारी' नहीं हूं। तब लोगों ने इसे अजीब ढंग से लिया था।

लोगों को लगा कि वे 'बिहार' का अपमान कर रहे हैं। वस्तुत: उन्होंने कहा था कि असल में उनके पिता का नाम 'वसंत - विहार', 'श्याम-विहार', 'यमुना विहार' की तरह ही 'विहार' है, तो उनका मूल नाम है- अटल विहारी। ये तो बीबीसी लंदन ने शुरू कर दिया 'ए.बी.वाजपेयी' तो सब इसी पर चल पड़े।

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अटल जी अच्छे पर पार्टी ठीक नहीं

संसद में एक बार अटल जी के लिए किसी ने कहा कि 'वे आदमी तो अच्छे हैं लेकिन पार्टी ठीक नहीं है।' इस पर अटल जी ने अपने भाषण में कहा भी था कि, 'मुझसे कहा जाता है कि मैं आदमी तो अच्छा हूं, लेकिन पार्टी ठीक नहीं है, मैं कहता हूं कि मैं भी कांग्रेस में होता अगर वह विभाजन की जिम्मेदार नहीं होती।'

यूं तो अटल भी पुराने कांग्रेसी थे। पहले सभी कांग्रेसी थे। आरंभिक दिनों में विजय राजे सिंधिया भी कांग्रेस में थी, जिवाजी राव सिंधिया भी कांग्रेस में थे।

वाजपेयी के भाषण से आहत मनमोहन सिंह ने पद छोड़ने का बना लिया था मन

1991 में कुछ तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी की बातों से इतना आहत हुए कि उन्होंने वित्त मंत्री का पद छोड़ने का फ़ैसला ले लिया था।

बता दें कि यह वाक्या तब का है जब मनमोहन सिंह देश में आर्थिक उदारीकरण को ध्यान में रखते हुए फैसले ले रहे थे। मनमोहन सिंह ने अपना भाषण संपन्न कर बजट पेश किया। जिसके बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण में मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए बजट की जमकर आलोचना की।

ख़ैर, तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को जैसे ही डॉ. मनमोहन सिंह के इस्तीफ़े देने के विचार की जानकारी मिली उन्होंने फोन कर वाजेपयी को पूरा मामला समझाया। फिर क्या था अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की और उन्हें समझाया कि उनकी आलोचना राजनीतिक है इसलिए दुखी न हों।

अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन के बीच इस मुलाक़ात के बाद दोनों के बीच दोस्ती काफी गहरी हो गई। बताया जाता है कि पिछले 14 सालों से जब अटल बिहारी वाजपेयी सार्वजनिक जीवन से काफी दूर हो गए थे और भूलने की बीमारी (अल्जाइमर) से ग्रसित थे तो मनमोहन सिंह अक्सर उनसे मिलने कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास पहुंच जाते थे।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने गुरुवार को वाजपेयी के निधन पर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) आधुनिक भारत के 'शीर्षस्थ नेताओं' में से एक थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा करने में लगाया। पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, " भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) के दुखद निधन के बारे में पता चला। वह एक शानदार वक्ता, प्रभावी कवि, अद्वितीय लोकसेवक, उत्कृष्ट सांसद और महान प्रधानमंत्री रहे।"

भागवत ने वाजपेयी को बताया सर्व स्वीकृत नेता

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक 'सर्व स्वीकृत नेता' करार दिया जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में भारतीय मूल्य कायम किए। भागवत ने आरएसएस के ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, 'वाजपेयी एक प्रखर दृढ एवं सर्व स्वीकृत नेता और महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों को राष्ट्र जीवन में प्रतिष्ठित किया।'

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उन्होंने कहा कि वाजपेयी के निधन से पैदा हुई शून्यता हमेशा बनी रहेगी। भागवत ने कहा, 'दिवंगत नेता को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने में हम राष्ट्र के साथ हैं।' गौरतलब है कि आज शाम वाजपेयी (93) का दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया।