क्या है पीएसी, क्यों राफेल मामले को लेकर है चर्चाओं में
राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पीएसी (Public Account Committee लोक लेखा समिति) चर्चाओं में आ गई है.
नई दिल्ली:
राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पीएसी (Public Account Committee लोक लेखा समिति) चर्चाओं में आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कैग की रिपोर्ट पीएसी देख चुकी है और रिपोर्ट संसद में रखी जा चुकी है, लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले के पैराग्राफ 25 की लाइनों में ज़रूरी बदलाव की मांग की है. सरकार का कहना है कि राफेल मामले में सीलबंद कवर में दी गई उसकी जानकारी को कोर्ट ने फैसले की कुछ पंक्तियों में ग़लत तरीके से पेश कर दिया है. सरकार ने अर्जी में कहा है कि राफेल की कीमत की जानकारी कैग को दी गई है लेकिन अभी तक कैग की रिपोर्ट पीएसी के सामने नहीं रखी गई है. हमने दरअसल कोर्ट को पूरी प्रकिया की जानकारी दी थी कि कैग की रिपोर्ट की पीएसी जांच करती है. उसके बाद रिपोर्ट संसद में रखी जायेगी.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर प्रेस कांफ्रेंस करके आपत्ति जताई. मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा था, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से माना जा सकता है कि सरकार ने ठीक तरीके से तथ्यों को नहीं रखा. कोर्ट को सरकार ने भ्रमित करने का काम किया है. उन्होंने कहा, PAC की जांच के वक्त एविडेंस लिए जाते है, पेशी होती है, सारे मेंबर पेश होते हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. पीएसी पर छिड़ी बहस के बीच आइए जानते हैं क्या है पीएसी? कब इसकी शुरुआत हुई थी और इसके काम क्या हैं?
क्या है पीएसी
पीएसी का फुल फॉर्म पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (Public Account Committee) होता है. आम तौर पर कमेटी का अध्यक्ष विपक्ष के नेता को बनाया जाता है. कमेटी का काम सरकार के खर्च नजर रखना होता है. 1921 में मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत इसका गठन किया गया था. डब्ल्यूएम हेले इसके पहला अध्यक्ष बनाए गए थे.
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इसके पहले भारतीय अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ मित्रा थे. 1967 में स्वतंत्रता पार्टी के सदस्य सांसद मीनू मसानी को चेयरमैन बनाया गया. तब से विपक्षी दल से ही इसका मुखिया चुना जाने लगा. अटल बिहारी वाजपेयी, एनडी तिवारी और मुरली मनोहर जोशी इसके चेयरमैन रह चुके हैं. इसके वर्तनाम अध्यक्ष कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. आजादी से पहले तक वित्त मंत्री इसके चेयरमैन होते थे.
क्या करती है पीएसी
पीएसी संसद की एक कमेटी है, जिसका गठन संसद के जरिए होता है. यह सरकार के खर्चों की ऑडिटिंग करती है. इसमे कुल 22 सदस्य होते हैं, 15 लोकसभा और 7 राज्यसभा से. इनका चुनाव एक साल के लिए किया जाता है. पीएसी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के जरिए दिये गये लेखा परीक्षण जुड़े हुए प्रतिवेदनों की जांच करती है.
पीएसी को लेकर होते रहे हैं विवाद
पीएसी को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं. 2010 में पीएसी के तत्कालीन चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी ने 2G घोटाले के संबंध में कहा था कि वो इस मामले में पेश होने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुला सकते हैं. जिसके बाद काफी हंगामा हुआ था.
क्या है पीएसी, क्यों राफेल मामले को लेकर है चर्चाओं में
राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पीएसी (Public Account Committee लोक लेखा समिति) चर्चाओं में आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कैग की रिपोर्ट पीएसी देख चुकी है और रिपोर्ट संसद में रखी जा चुकी है, लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले के पैराग्राफ 25 की लाइनों में ज़रूरी बदलाव की मांग की है. सरकार का कहना है कि राफेल मामले में सीलबंद कवर में दी गई उसकी जानकारी को कोर्ट ने फैसले की कुछ पंक्तियों में ग़लत तरीके से पेश कर दिया है. सरकार ने अर्जी में कहा है कि राफेल की कीमत की जानकारी कैग को दी गई है लेकिन अभी तक कैग की रिपोर्ट पीएसी के सामने नहीं रखी गई है. हमने दरअसल कोर्ट को पूरी प्रकिया की जानकारी दी थी कि कैग की रिपोर्ट की पीएसी जांच करती है. उसके बाद रिपोर्ट संसद में रखी जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर प्रेस कांफ्रेंस करके आपत्ति जताई. मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा था, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से माना जा सकता है कि सरकार ने ठीक तरीके से तथ्यों को नहीं रखा. कोर्ट को सरकार ने भ्रमित करने का काम किया है. उन्होंने कहा, PAC की जांच के वक्त एविडेंस लिए जाते है, पेशी होती है, सारे मेंबर पेश होते हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. पीएसी पर छिड़ी बहस के बीच आइए जानते हैं क्या है पीएसी? कब इसकी शुरुआत हुई थी और इसके काम क्या हैं?
क्या है पीएसी
पीएसी का फुल फॉर्म पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (Public Account Committee) होता है. आम तौर पर कमेटी का अध्यक्ष विपक्ष के नेता को बनाया जाता है. कमेटी का काम सरकार के खर्च नजर रखना होता है. 1921 में मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत इसका गठन किया गया था. डब्ल्यूएम हेले इसके पहला अध्यक्ष बनाए गए थे.
इसके पहले भारतीय अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ मित्रा थे. 1967 में स्वतंत्रता पार्टी के सदस्य सांसद मीनू मसानी को चेयरमैन बनाया गया. तब से विपक्षी दल से ही इसका मुखिया चुना जाने लगा. अटल बिहारी वाजपेयी, एनडी तिवारी और मुरली मनोहर जोशी इसके चेयरमैन रह चुके हैं. इसके वर्तनाम अध्यक्ष कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. आजादी से पहले तक वित्त मंत्री इसके चेयरमैन होते थे.
क्या करती है पीएसी
पीएसी संसद की एक कमेटी है, जिसका गठन संसद के जरिए होता है. यह सरकार के खर्चों की ऑडिटिंग करती है. इसमे कुल 22 सदस्य होते हैं, 15 लोकसभा और 7 राज्यसभा से. इनका चुनाव एक साल के लिए किया जाता है. पीएसी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के जरिए दिये गये लेखा परीक्षण जुड़े हुए प्रतिवेदनों की जांच करती है.
पीएसी को लेकर होते रहे हैं विवाद
पीएसी को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं. 2010 में पीएसी के तत्कालीन चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी ने 2G घोटाले के संबंध में कहा था कि वो इस मामले में पेश होने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुला सकते हैं. जिसके बाद काफी हंगामा हुआ था.
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